Rashmi Sinha

Classics

4  

Rashmi Sinha

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घटना ही दर्पण

घटना ही दर्पण

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मेरा बेटा llT काॅलेज में दाखिला के लिए JEE pre के परिक्षा की तैयारी करने के लिए राजस्थान कोटा के हास्टल में रहकर कोचिंग ले रहा था। अप्रैल में JEE pre की परिक्षा थी। मैं बेटा के पास मार्च में पहुंच गई जिससे उसे भावनात्मक रूप से सहारा मिल जाए। मैंने देखा कि कोटा के कोचिंग सेंटर में पढ़ने वाले बच्चों को अपने पढ़ाई के अलावा किसी दूसरे चीजों से मतलब नहीं रहता। प्रतियोगिता क्या होता है इन बच्चों में देखने को मिला। बच्चों को न खाने का होश, न ही सोने की चिंता। रात - दिन बस अपने लक्ष्य प्राप्त करने की होड़ में लगे हैं। ऐसे संंन्यासी बच्चों के सामने मैं निःशब्द थी।

मेरे बेटे को परिक्षा का सेंटर जयपुर के एक कालेज में मिला। उस कालेज के पास एक मात्र 5 स्टार होटल में हमने एक रूम बुक कर लिया था। इस होटल के अलावा वहां पर दुुुसरा होटल या लाॅज नहीं है। जयपुर हम पहली बार जा रहे थे। वहां हमारा कोई भी परिचित नहीं हैं। परिक्षा तिथि से एक दिन पहले ही हम जयपुर के लिए निकले जिससे मेरा बेटा पूरे दिन आराम करके समय पर परिक्षा हाल पहुंच कर अच्छे से परिक्षा दे सके। हम ट्रेन में बैठे वहां JEE Pre के परिक्षा देने वाले बच्चों की भीड़ थी। हम सुुबह के 11 बजें जयपुर के रेेलवे स्टेशन पहुंचे।  जिस होटल को हमने बुुक कराया था वो स्टेशन से करिब 14 - 15 कि. मि. दूूर था। अनजान जगह होने से हमने ओला बुुक कराया । होटल 3 बजे पहुुंंचेे, फ्रेश होकर लेटे क्योंकि राजस्थान की गर्मी और यात्रा से थकावट होने पर क्की्ीी निंद लग‌ गई। जब निंद खुली तो देखा कि अंधेरा हो गया था। उस होटल के रीशेप्शन में जाकर मैंने सारी बात बताई और पूछा कि ॔कालेज यहां से कितनी दूर है ॽ ॓

रिशेपशन में बैठे व्यक्ति ने कहा कि ॔ कोई दूरी नहीं है, 5 मिनट का रास्ता है। 

मैंने कहा कि ॔ एक टैक्सी की व्यवस्था कर दें , जिससे 

हमें परेेशानी न हो। बच्चे की परिक्षा की बात है।

उसने कहा कि ॔ वो जो पीली बिल्डिंग दिख रही है, उसके ठीक पीछे है। पैैदल 5 मिनट में पहुंच जायेंगे। ॓

मैंने उनकी बातों पर विश्वास कर लिया। बाहर खड़े हो कर देखा तो दूर तक सुनसान और अंधेरा था। बगल में एक दो घर था बाकी खूला मैदान वैसे में जाकर देखने की हिम्मत नहीं हुई। होटल करिब खाली ही था, क्या

करती ॽ वापस रूम में लौट आई। बेेेटा पढ़ रहा था।

   सुुबह बहुत ही खुबसूरत थी, मोर, कबूतर और भी पंक्षी गाय आराम से घूम रहे थे जिन्हें देखकर बहुत अच्छा लगा। पर चिंता के कारण आनन्द उठाने में मन नहीं लगा। हम तैयार हो कर ‌परिक्षा सेंटर की ओर निकले। परिक्षा के निर्धारित समय से 1 घंटा पहले ही निकले थे। हमने देखा कि दूर दूर तक सुनसान, एक व्यक्ति नहीं दिख रहे थे , न ही यातायात के साधन दिख रहे थे और सामने करिब  4 - 5 एकड़ का खूला, सुखा खेत उसके बाद पक्की सड़क थी। कहने सोचने का समय नहीं था हम दोनों दौड़ गए किन्तु खेेत पर चलने का अभ्यास नहीं होने से दौड़ना कठिन था। पर दौड़ रहे थे मैंने बेेेेेटे से कहा कि ॔ तुम बच्चे हो, तेज दौड़ कर जल्दी पहुंचो , परीक्षा नहीं छूटना चाहिए। भागो ‌‌तुम, मेरी चिंता मत करो, मैं पहुंच जाऊंगी। ॓ परन्तु मुझे छोड़ कर नहीं जा पा रहा था। मैं उसकी फिक्र समझ रही थी। तभी एक ट्रेक्टर दिखा  मैंने उससे मदद मांंगा उसने सहयोग नहीं किया। हम फिर दौड़ने लगे। हम 4 कि. मि. दौड़ चूके ‌‌उसी समय एक बाइक दिखी हम दोनों जोर जोर से चिल्लाए और हाथ हिलाकर मदद मांगी। वो सज्जन व्यक्ति रूक गए । मैंने बेटे से कहा कि ॔ अब भागो समय नहीं है। ॓ बाइक के पास दौड़ कर गया पर मेरा इंतजार किया। मेरे पहुंचने पर उसने बाइक को तेज दौड़ा कर हमें कालेज पहुंचा दिया। तब भी हमें पहुुंचने में 5 - 10 मिनट लगा होगा। बेटा दौड़ कर कालेज के अंदर चला गया। उसे अंदर जाते देख मेेेरे मन को बहुत शांति मिली। मैंने उस सज्जन व्यक्ति को धन्यवाद दिया । वो व्यक्ति मुस्करा कर चल दिए। उसके तुरंत बाद एक लड़की आई, उसे अंदर जाने नहीं दिया गया। उस अनजान व्यक्ति के सहयोग से  मेरा बेटा परिक्षा में सफलता प्राप्त किया और उसे मनचाहा विषय साथ ही उसकी पसंद की कालेज मिल गई । रिशेेप्शन में मैंने नाराजगी जताई। 

 ये सच है कि अच्छे व्यक्ति भगवान के भेजें होतें है

और उनके कारण ही धरती थमी है । हर आत्मा में ईश्वर का वास होता है, 

जब संकट का क्षण आता है सज्जन व्यक्ति सहारा बन कर खड़े होते है।

आज भी मेरे परिवार के हर सदस्य के दिलों से सज्जन व्यक्ति और उनके परिवार के लिए बहुत ‌आशिर्वाद और शुुभकामनाएं निकलती है। इस घटना में मेरे दिल को एक बात और छू गई कि इतने कम उम्र में साथ ही कठिन घड़ी में मेेरा बेटा मां के प्रति जिम्मेदारी को प्राथमिकता दिया। ॓


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