Vibha Pathak

Abstract

4  

Vibha Pathak

Abstract

आसान है क्या मुश्किल

आसान है क्या मुश्किल

2 mins
467


जिसे तुम्हारे सहनशीलता की परिकाष्ठा का अनुमान नहीं वो चले है तुमपे इल्जाम लगाने,

क्या इतना आसान है उस भाई द्वारा ये कह देना कि तुम मेरी बहन नही ??

क्या इतना आसान है उस पिता द्वारा ये कह देना कि तुमसे मेरा कोई नाता नही ??

ऐसा बस इसलिए क्योंकी तुम उनके इशारों पर चलने की बजाए खुद के लिए एक रास्ता चुना।।

क्यूं हर बार उंगलियां तुम्हारे उपर ही उठाई जाती है?

क्यूं हर बार तौहमतें तुमपे लगाई जाती है?

क्यूं तुम्हें ही दोषी ठहराया जाता है ?

क्यूं नही स्वीकार कर लेती तुम चुप चाप सब कुछ

शादी करना अगर एकमात्र रास्ता है तो उनका क्या जो बिन गुनाह जला दी जाती है,

या उनका क्या जिनको शादी के बाद घर से निकाल दिया जाता है या मार दिया जाता है या वो खुद मर जाती है।।

सच में कितनी सहनशीलता चाहिए इतना सब सहने के लिए सुनने के लिए और सामना करने के लिए।।

अगर गलती से तुमने अपने प्रेमी , यार, आशिक़ या फिर पति के मनमुताबिक नही जिया या वो सब कुछ नही किया जैसा वो चाहते है तो वो तुम्हें बदनाम करने की वो सारी हदें पार करने के लिए तैयार बैठे है।।

और गलती से वहा से बच बचा कर निकल गई तो ये समाज तुमपे कालिख पोतने को तैयार बैठा है, या चरित्रहीन बुलाने से बाज ना आएगा।।

 शायद ये तो मामूली सा शब्द है बाकी तो बड़े भारी भरकम शब्द होते है, भाई या पिता को गलती से फ़ोन चला गया किसी भी लड़के द्वारा तो तुम दुनियां की सबसे वाहियात लड़की कहलाई जाओगी, ख़ैर 

तुम इतना सोचती क्यूं हो 

क्यूं परवाह करती हो इन सबका जिसके लिए तुम एक वस्तु मात्र हो, जो जब चाहे जहा चाहे फेक सकते है।।

तुम तकलीफ़ में रहोगी तो कोई तुम्हारे पास नही 

जहा तुमने एक कदम खुशियों या सफलता की तरफ़ बढ़ाया वहा से शुरु होगा तौहमतों का सिलसिला लेकिन तुम ख़ामोश रहना, 

यकीन मानों मेरा अगर तुम सही हो तो छोड़ दो लड़ना 

छोड़ देना सफ़ाई देना क्योंकि हिसाब करने वाला सबका बस एक है।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract