Vibha Pathak

Children Stories Tragedy

3.9  

Vibha Pathak

Children Stories Tragedy

जैसे फोन टूटा वैसे मैं भी

जैसे फोन टूटा वैसे मैं भी

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बारह साल की पीहू घबराते हुए बालकनी की तरफ़ भागी और उसके हाथ से मम्मी का फोन बालकनी से नीचे आ गिरा।। 

नेहा गुस्से में पीहू को डाटने लगी - तुमने फोन तोड़ दिया इतना महंगा फोन था, ठीक भी नहीं होगा अब वो फोन। 


तभी पीहू के ताऊ जी उसे बचाते हुए अरे तो क्या हो गया फोन ही न टूटा है दूसरा आ जायेगा इसमें बच्ची को डाटने की क्या जरूरत है, नया आ जायेगा।। 

ताऊ जी पीहू को अपने साथ ले जाने लगे, आज न जाने क्यूँ पीहू को मम्मी की डांट ज़्यादा अच्छी लगी बजाय ताऊ जी के साथ जाना।। 

भाई साहब आपने ही इसका मन बढ़ा रखा है, जब देखो तब आप इसे मोबाइल थमा देते है।। 

अब भुगतिये इसका नतीजा।। 


पीहू कुछ कहे इससे पहले ताऊ जी उसे अपने कमरे में ले गए। शाम का वक्त सभी खाना खाने के लिए इकट्ठा होते है,

 पीहू, पीहू कहाँ हो तुम अब जल्दी आओ खाना तैयार खा लो, फ़िर नाराज़ होना, मम्मी ने आवाज़ लगाई।। 


अचानक दरवाजे की घंटी बजती है गार्ड आकर कहता है कि

नीचे आपकी बच्ची गिरी हुई है, और उसके सिर से खून बह रहा है, नेहा सब कुछ छोड़ नीचे भागती है। 

और वहाँ पीहू खून से सराबोर अपनी साँसे गीन रही थी धीरे से नेहा के कानों में कहने लगती हैं..... 


"मम्मा आपका फोन जैसे वापिस नहीं जुड़ेगा मैं भी नहीं जुड़ना चाहती, ताऊ जी का छूना अच्छा नहीं लगा आज उन्होंने फोन में कुछ गंदा सा दिखाया मैं आपको दिखाने आ रही थी और फोन हाथ से छूट गया, तो सोचा जैसे फोन टूटा वैसे मैं भी........... 



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