वजूद पर सवाल है??
वजूद पर सवाल है??
जज ने कई मर्तबा विभा से पूछा क्या आप अपने ऊपर लगे आरोपों को स्वीकार करती है..
वकील की हज़ार दलीलों , सामने खड़े लोगों द्वारा उठाएं गए उसके चरित्र पर सवालों को देखते हुऐ सहसा विभा ने बड़ी सहजता से जवाब दिया "जी हां....मैं अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को स्वीकार करती हूं.."
जज ने एक बार फिर पूछा "अच्छे से सोच विचार कर जवाब दीजिए ये आपके वर्तमान, और भविष्य का सवाल है यहां कोई जल्दबाजी नहीं एक बार फिर सोचिए ये आखिरी मौका है क्या आप अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को स्वीकार करती है ?"
विभा (कुछ देर सोचते हुऐ ) अगर मैं ना कहती हूं तो ये सिलसिला बढ़ता जायेगा।सामने खड़े लोग मेरे चरित्र पर सवाल उठा मेरे दामन पर दाग लगाने के लिए खड़े है।
मेरा "ना" कहना मुझे यहां तक ला सकता है तो आज मेरी एक और "ना" से क्या ही हो जायेगा ??
ना कहना ही तो सीखा था किसी के द्वारा जबरदस्ती करने पर ना ही कहा था, ऑफिस में बॉस ने प्रमोशन के नाम पर सोने को कहा तो भी ना ही कहा था,
फ्रेंड्स विथ बेनिफिट्स में ना कहने बदनामियां मिलेगी ऐसा उनसे ही सुना था।।
हम सब एक ऐसे समाज में रह रहें है जहां लड़कियां, औरतों को हर दिन किसी न किसी बहाने प्रताड़ित किया जाता है।।
उन्हें हलाल करने के तरीके खोज जातें है। जो स्वीकारती है वो आगे बढ़ती है एक ओहदे के साथ, जो अस्वीकार करती है उनको एक चरित्र प्रमाण पत्र दिया जाता है और यहीं नहीं उनके पीछे लगाया जाता है एक पुरा विभाग की कैसे उन्होंने ना कहना सीखा, जिसकी सजा उन्हे ताउम्र दी जाती है।। सिखाया जाता है एक सबक तो बताइए इस भरी वकालत की दुनियां में ऐसा कौन है जिन्होंने ऐसा न देखा न सूना न सहा या किया हो किसी औरत,या लड़की के साथ।।
ख़ैर ये कोई नई बात तो नहीं, तो मैं स्वीकार करती हूं।।