बस एक हाँ का इंतज़ार
बस एक हाँ का इंतज़ार
हमारे समाज में एक लड़की का अपनी पसंद के लड़के से शादी करने से अच्छा लड़की का आत्महत्या कर लेना बेहतर माना जाता है।
एक लड़की का अपने प्यार के लिए घर छोड़ देना आजकल आम बात है लेकिन बहुत बड़ी बात तो तब है जब वो शादी के लिए सिर्फ उनकी एक हां का इंतज़ार करे।
घर की इज्जत चली जायेगी, समाज में मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे, छोटे भाई बहन की शादी नहीं हो पायेगी, क्या यही सब सुनने के लिए तुम्हें पैदा किया था।
कलंक हो तुम इस परिवार में और ना जाने क्या क्या सुनती है वो लड़कियां जो अपनी पसंद के लड़के से शादी करना चाहती है। सब कुछ सुनते हुए भी बस एक हाँ का इंतज़ार रहता है।
(उन लड़कियों का तो छोड़ दीजिये, जो भाग जाती है या शादी करके आती है खुद से उन्हें क्या क्या सुनना पड़ता होगा उसके बारे में तो बात ही नहीं करनी)
यहाँ बात सिर्फ उन लड़कियों की हो रही है जो अपने से बड़ों से ये हिम्मत जुटा के कहती है की उन्हें शादी करनी है अपने मनपसंद किये हुए लड़के से।
( लागू ये दोनों पक्षों के लिए होता है लेकिन बात यहाँ सिर्फ एक पक्ष की हो रही है)
समझ कौन नहीं पाता ये आज तक समझ नहीं आया?
क्या चाहिए एक लड़की को इस समाज के अनुसार या आपके अनुसार??