आरज़ू आगे का भाग
आरज़ू आगे का भाग
विक्रम ने लिफ्ट खुलते ही आइए अंकल कहा और पापा निकल गए।विक्रम पहले निकल जाए इसलिए रागिनी खड़ी रही और बैग से कुछ ढूंढ़ने का दिखावा करने लगी।
रागिनी ने सोचा कि वो निकलेगा पर वो लिफ्ट से निकला नहीं। रागिनी निकलने लगी और साथ ही विक्रम भी ।
विक्रम का लैपटॉप का बैग और रागिनी का कॉलेज बैग ज़ोर से टकराया। विक्रम को इंतज़ार था कि रागिनी अपनी नज़र ऊपर जरूर उठाएगी। या इस तरह के व्यवहार से कुछ जरूर बोलेगी। पर रागिनी सिर्फ विक्रम के white शर्ट तक ही नज़र डाल पाई।
Sorry, झाँसी की रानी ,कहकर बाहर आ गया और लिफ्ट बन्द न हो जाए इसलिए लिफ्ट बाहर से दबाकर खड़ा हो गया। रागिनी विक्रम के इस व्यवहार से मन में बहुत सम्मान की नज़र से विक्रम को देखती थी। उसके इस व्यवहार से रागिनी थोड़ी सहजता का अनुभव करने लगी। उसके अंदर न जाने कहाँ से हिम्मत आ गई विक्रम को दो शब्द कहने की।
Its ok Mr. विक्रम - कहकर वह पापा की कार की तरफ चली गई।
अपनी कार की तरफ दूर जाता हुआ विक्रम...Bye ...miss झाँसी की रानी कहकर हंसता हुआ चला गया। अपार्टमेंट से निकलकर करीब तीन चार रेड लाइट तक कभी आगे कभी पीछे थी विक्रम की कार।
फिर पता नहीं चल पाया कि उसकी कार किस तरफ गई?
रास्ते में रागिनी बेचैन हो रही थी।विक्रम का व्यवहार रागिनी को बेचैनी दे रहा था। कार में रोमांटिक गाने चलने लगे।रागिनी और निखरती जा रही थी।
रागिनी कॉलेज पहुँच गई और उसके पापा ऑफिस चले गए
। रागिनी अपनी क्लास तक पहुँचते पहुँचते हर किसी में विक्रम का ही चेहरा देख रही थी।
क्लास में पहुँची औरअपनी फ्रेंड ज्योति के पास बैठ गई। ज्योति से रागिनी कुछ छिपाती नहीं थी।क्लास में सर के आने से पहले रागिनी ने कहा यार क्या हो रहा है? कहकर वह सिर को टेबल पे रखकर चेहरा छुपा लिया। क्या हुआ?
ज्योति ने कहा।
दो तीन बार ज्योति के कहने पर रागिनी ने सिर ऊपर किया और कहने ही वाली थी कि सर आ गए। 1 घण्टे की क्लास हुई फिर ज्योति और रागिनी के साथ शायस्ता ,चेताली और मीनाक्षी भी आ गए।ये पाँचो पक्के दोस्त थे और मास्टर्स में एडमिशन लेने के बाद फ्रेंड्स बनें थे।
ज्योति ने फिर पूछा -बता न ,खोई - खोई क्यों है?
चेताली ने भी रागिनी को छेड़ दिया-क्या हुआ हमारी हेरोइन को ?
मीनाक्षी ने भी कहा - क्या हुआ ? अब बता भी दे।
शायस्ता थोड़ी मुँह फट थी। तो बोल पड़ी1 लगता है आज फिर से लिफ्ट में पीछा किया Mr विक्रम ने।
रागिनी अपनी मन की व्यथा को कैसे बताती कि उसे क्या हुआ है ? उसे खुद भी तो मालूम नहीं था न कि आखिर उसकी दशा मछली के जैसी क्यों है?
कुछ नहीं हुआ -कहकर उठी और कैंटीन की ओर जाने लगी।
एकाएक पीछे मुड़कर बोली ,तुमलोग क्या लोगे?
चाउमिन ,समोसा और इडली ले आ। रागिनी के फ़्रेंड्स कैन्टीन के गार्डन में बैठे रहे और रागिनी वहाँ से निकलकर आर्डर देने चली गई।रागिनी का मन नहीं हो रहा था कुछ खाने पीने का। इधर उधर देख रही थी कि शायद कुछ बेचैनी कम हो।
आर्डर देकर आ गई।