Mridula -

Others

3  

Mridula -

Others

कहानी - आरज़ू ....आगे की कहानी

कहानी - आरज़ू ....आगे की कहानी

4 mins
245


रागिनी अपनी मम्मी के साथ अंदर आ रही थी तभी आवाज़ आई, आँटी कभी आइएगा। मम्मी ने स्माइल कर कहा- हाँ बेटा आऊँगी... ठीक है बेटा कहकर दोनों अंदर चले गए ।

रागिनी के आँखों के सामने विक्रम का रागिनी की माँ के पैर छूना और सम्मान देना बार बार घूम रहा था । रागिनी ने अपना बैग रखा सैंडल उतारे और हाथ मुँह धोने बाशरूम में चली गई । भरी बस का और घंटे भर का सफर करने के बाद भी रागिनी का चेहरा फूलों की तरह खिला हुआ था-रागिनी बाशरूम के शीशे में खुद को देख भी नहीं पा रही थी ,अकेले में भी इतना शर्मा रही थी जैसे विक्रम उसके सामने हो ।

पता नहीं उसको क्या हो रहा था ? ...पर समझ में नहीं आते हुए भी दिल की और मन की ऐसी दशा उसको अच्छी लग रही थी । वो अपने कमरे में आई और ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी हो गई । ड्रेसिंग टेबल के शीशे में देखकर उसने अपने बालों को खोल दिया और गर्दन के एक साइड में कर दिया । उसकी दशा का उसको खुद एहसास नहीं था ,पर ... बहुत बेचैन थी ।


मम्मी ने आवाज़ दी.... कुछ खा लो बहुत देर हो गई है ...रागिनी सोफे पर बैठ गई और सेंटर टेबल खींचकर खाने लगी । मम्मी की बनाई सब्ज़ी और रोटी उसकी फेवरेट थी ।बड़े स्वाद लेकर खाती थी ।मम्मी का सादा खाना भी रागिनी को किसी होटल के खाने से ज्यादा पसंद था....पर ये क्या?

रागिनी टी वी का रिमोट हाथ में लिए चैनल बदलती जा रही थी । हर चैनल में, हर सिरियल में और हर गाने में, यहाँ तक कि हर ऐड में भी वो विक्रम का चेहरा ही देख रही थी । खाना का एक टुकड़ा भी रागिनी ने अपने मुँह में नहीं लिया ।

मम्मी ने कहा- इतनी धूप से आई हो न बेटा इसीलिए शायद भूख मर गई है ।

माँ को कहा पता था कि रागिनी के अंदर कितने तूफानों ने कब्जा कर रखा है । पर...रागिनी ने हाँ मॉम कहते हुए खाने से मना कर दिया और बेडरूम में कुछ देर आराम करने चली गई।

आँखें बंद कर औंधे मुँह लेट गई । पर....नींद कहाँ थी ऑंखों में....जो सोती रागिनी । बीसियों बार करवट बदला ...पर नींद तो मिलों दूर थी।। रागिनी ने अपने होंठ चबाते हुए खुद से कहा-- क्या हो रहा है ? 

दो घण्टे तक लेटी रही पर एक सेकेंड भी सो नहीं पाई ।

रागिनी बिस्तर से उठ गई । पापा के ऑफिस से आने का टाइम था ...इतने देर में बेल बजी ....रागिनी ने सोचा पापा आए होंगे...दरवाज़ा खोला तो पापा और विक्रम बातें कर रहे थे । पापा भी खुश लग रहे थे। अंकल, पापा मम्मी आने वाले हैं। जन्माष्टमी तक आ जाएँगे । रागिनी ने ऐसा कहते हुए सुना । पहले की बातें वो सुन नहीं पाई पर रागिनी दरवाज़े की आड़ लिए हुए सुन रही थी । गेट से बाहर निकलकर देखने की न तो उसकी हिम्मत थी और न ही संस्कार उसके ऐसे थे।

लिव इन के ज़माने में भी रागिनी किसी अच्छे और संस्कारी लड़के से नज़र तक नहीं मिला पाती थी तो गेट से निकलकर विक्रम को देखना तो बहुत दूर की बात थी ।

केवल सुनकर ही वो नज़र झुकाए हिप्नोटाइज हुए जा रही थी । एक हाथ से अपने बालों को गर्दन के एक साइड में कर इठला ही रही थी कि विक्रम पापा के पास आकर कुछ बोलने लगा। रागिनी के पापा के कंधे पर से कुछ उड़ाता हुआ बोला - एक मिनट अंकल ,कुछ है आपकी पीठ पर ...रागिनी पापा के पीठ पर देखने लगी ...और...विक्रम की कोशिश थी कि एक बार रागिनी की नज़र ऊपर उठे ....पर ...नहीं पापा ...कुछ नही है , धीरे से बोलती हुई रागिनी अंदर आने लगी ....रागिनी मोम की तरह पिघल रही थी । अंदर आने लगी । उसमें विक्रम के सामने खड़े होने की हिम्मत ही नहीं हो रही थी ।

आइए न अंदर - पापा ने कहा।बस...फिर क्या था? विक्रम इसी का तो इंतज़ार कर रहा था । अंदर आ गया और आँटी ...आँटी कहाँ हैं अंकल ....कहते हुए अपनी आवाज़ रागिनी के मदहोश कानों में गुंजाने लगा। 

चाय बनाओ -पापा ने कहा ।मैं किचन में चली गई। ड्रॉइंग 

रूम सामने ही था । रागिनी बहुत ज्यादा सम्भल सम्भल कर काम कर रही थी । अंदर तक डर गई थी। डर क्या था ....उसे खुद नहीं पता चल रहा था । 

पापा ऑफिस से आए थे तो वाशरूम चले गए । जब तक आँटी आँटी करता विक्रम किचन के सामने से कुछ गुनगुनाते हुए निकला ....झाँसी की रानी ..कहते हुए आँटी आप कहाँ हो ? बोलता हुआ सोफे पर बैठ गया।

चाय बन गई थी तो रागिनी ने बोला- मॉम चाय रेडी है । भागता हुआ किचन में आ गया । मैं लेकर आता हूँ आँटी ... कहता हुआ चाय की ट्रे मेरे हाथों से ले गया ।

 रागिनी को विक्रम का व्यवहार फिल्मी लग रहा था । जिस तरह विक्रम रागिनी से कुछ भी नहीं कहते हुए उसके मॉम और पापा को इम्प्रेस कर रहा था तो ये सब रागिनी को चुम्बक की तरह विक्रम की ओर खींच रहा था।

रागिनी ने विक्रम को बस एक-दो झलक पहले दिन ही देखा था । जिस दिन वो शिफ्ट हुई थी। और आज भी रागिनी उसकी उसी छवि से परिचित थी । क्योंकि उस दिन के बाद तो रागिनी की हिम्मत ही नहीं हुई नज़र उठाकर देखने की ।

रागिनी की सिस्टर भी आ गई । वह भी सोफ़े पर बैठ गई।


क्रमश:


Rate this content
Log in