Mridula -

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कहानी - आरज़ू ....आगे की कहानी

कहानी - आरज़ू ....आगे की कहानी

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रागिनी का बड़ा मन था कि जा कर बैठे ...और हो भी क्यों नहीं ... रागिनी कौन सा विक्रम के घर पे थी ...अपने ही घर पे थी। सब लोग साथ में थे पर..... रागिनी हिम्मत नहीं जुटा पाई और ड्राइंग रूम में बैठने के बजाय वो अपने रूम में चली गई। 

रागिनी के पापा आ गए वाशरूम से और बैठ गए। उसके पापा ने विक्रम से और विक्रम ने पापा ने काफी बातें की। मम्मी और उसकी सिस्टर भी वहीं थे। रागिनी अपने कमरे में खुश हो रही थी।

विक्रम चला गया। सब लोगों ने खाना खाया और सो गए।

रागिनी से खाने के नाम पर सिर्फ एक रोटी खाई गई थी तो एक तो पेट खाली और विक्रम का खयाल। रागिनी को सोते सोते सुबह के तीन बज गए। बेचैनी में बस करवट बदल रही थी।

अगले दिन रागिनी उठी और कॉलेज जाने के लिए तैयार हो गई। रागिनी ने गेट के बाहर आकर bye मॉम कहा और जाने लगी। सामने का नज़ारा....देख उसने गर्दन नीचे कर ली ... सामने विक्रम के घर का दरवाज़ा खुला हुआ था और सामने विक्रम फोन पर बात कर रहा था। मानो कुछ देखा ही नहीं हो ...ऐसा बिहेव करने लगी रागिनी 

एक्चुअली रागिनी की हिम्मत विक्रम से नज़र मिला लेने की नहीं थी। न जाने रागिनी जैसी हिम्मत वाली लड़की विक्रम के सामने कुछ बोल क्यों नहीं पाती थी।

रागिनी ने लिफ़्ट दबाया और जल्दी से -हे भगवान लिफ्ट में विक्रम साथ न आए कहकर अपने होंठों को चबाने लगी।

रागिनी मन से खुश होती थी पर न जाने सामने आने पर उस हैंडसम लड़के से बात क्यों नहीं कर पाती थी। 

रागिनी ने लिफ्ट के अंदर कदम रखा और पलटी ....सामने उस राजकुमार को देखकर रागिनी का दिल जोरों से धड़कने लगा ...झाँसी की रानी- विक्रम ने कहा।

रागिनी लिफ्ट बन्द होने से पहले लिफ्ट से बाहर आ गई।

रागिनी के संस्कारों ने उसे एक साथ जाने की इजाजत नहीं दी।.... झाँसी की रानी......विक्रम ने कहा और लिफ्ट बन्द हो गई।

रागिनी नज़र नीचे किए हुए सीढ़ियों से जा रही थी ...और डर भी रही थी ...कि अगर विक्रम नीचे खड़ा मिला तो ....रागिनी के तो होश ही उड़ जाएंगे इसलिए रागिनी घर आ गई। 

क्या हुआ? मम्मी ने पूछा

कुछ नहीं, बुक भूल गई थी - रागिनी ने कहा।

विक्रम निकल जाए इसलिए देर से जाना चाहती थी तो रागिनी वाशरूम जाने लगी। निकली तब तक उसके पापा रेडी थे। उन्होंने कहा चलो मेरे साथ मैं ड्राप कर दूँगा।

रागिनी मान गई।  

अब वो अपने पापा के साथ निकली और दोनों लिफ्ट तक पहुँचे ..... रागिनी घबरा गई और एक छोटे बच्चे की तरह पापा के पीछे चलने लगी। लिफ्ट से विक्रम निकल कर आया।

गुड मॉर्निंग अंकल - विक्रम ने कहा 

गुड़ मॉर्निंग ...गुड़ मॉर्निंग- कैसे हैं? ऑफिस बन्द है आपका ?

पापा ने कहा।

नहीं जा ही रहा था ....कुछ भूल गया था ...वही लेने आया हूँ 

अंकल लिफ्ट रोकियेगा ... मैं दस सेकेंड में आया- विक्रम ने कहा।

हाँ - हाँ ...आ जाइए - पापा ने कहा।

रागिनी अंदर से पसीने पसीने हो रही थी। ...पर इस वक़्त पापा से क्या बोले ?

विक्रम ने दरवाजे पर ताला लगाया और आइए अंकल, कहते हुए लिफ्ट को रोककर खड़ा हो गया।...अब रागिनी की बारी थी। आइए- कहते हुए विक्रम का हाथ हल्का सा रागिनी के दुपट्टे से टच होने ही वाला था कि रागिनी ने उड़ते हुए दुपट्टे को समेट लिया। रागिनी अपने पापा के साथ एक तरफ हो गई। उसके पापा का फ़ोन आ गया और वो बात करने लगे।

विक्रम लिफ्ट के शीशे से रागिनी की तरफ निहार रहा था। 

रागिनी ने एक बार उस हैंडसम लड़के को देखने की कोशिश की। पर वो नहीं चाहती थी कि विक्रम उसको देख ले। अपने बालों को ठीक करती हुई एक नज़र उसने शीशे में देखा।विक्रम ...किसी राजकुमार से कम नहीं लग रहा था। 

रागिनी मन ही मन सोचने लगी ... कितना हैंडसम है ...

विक्रम सच में बहुत सुंदर था। height भी बहुत अच्छी थी। बातों में जादू था....


क्रमशः  








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