आरज़ू ....आगे की कहानी
आरज़ू ....आगे की कहानी
जन्माष्टमी का दिन था । शायद विक्रम की छुट्टी थी ।सुबह से विक्रम ने तेज़ आवाज़ में गाने चलाए हुए थे ।कई बार रागिनी के कमरे की खिड़की के पास आया और चला गया।
रात हो गई ।रागिनी तैयार होकर नीचे गई । भगवान कृष्ण के गाने लगे हुए थे । चहल पहल थी। रागिनी भी प्रसन्न थी ।उसे डर था कि कहीं विक्रम उसकी आँखों के सामने आ गया तो क्या होगा?
रागिनी डरती थी कि कहीं उसकी आँखों में विक्रम ने देख लिया तो वो खुद को संभाल नहीं पाएगी ।पता नहीं क्या ? पर रागिनी सामने आते ही पसीने से भीग जाती थी।
रागिनी कान्हा जी का झूला हँसते हुए झुला रही थी ।सामने का नज़ारा देखकर उसकी धड़कने तेज़ हो गई । विक्रम रागिनी की फ़ोटो ले रहा था । रागिनी को न जाने इतनी हिम्मत कहाँ से आ गई । रागिनी विक्रम के पास जाकर बोली प्लीज कैमरा दे दीजिए । विक्रम इधर उधर देख रहा था ।रागिनी सामने तो नहीं गई पर दूसरी तरफ देखते हुए अपना एक हाथ विक्रम के आगे करते हुए बोली- कैमरा प्लीज।
विक्रम ने कैमेरे के बदले रागिनी के हाथ में अपना हाथ रख दिया । रागिनी झनझना उठी ।मानो किसी ने उसके हाथ में बिजली की तार रख दी हो।रागिनी को समझ नहीं आ रहा था कि वो खुश हो या उदास।
रागिनी घर जाने लगी ।पता नहीं कहाँ से विक्रम उसके सामने आ गया । क्यों झाँसी की रानी ! आप कैमेरा लेंगी या हाथ ।
नज़र नीची रखने से आप छुपा लेंगी क्या?
आगे की कहानी अगले अंक में...........