आरज़ू....कहानी आगे की
आरज़ू....कहानी आगे की
रागिनी की ओर उम्मीद भरी नजरों से विक्रम ने देखा । रागिनी को उस पर तरस आ गया। पर फिर भी रागिनी ने यही दिखाया कि उसे कोई फर्क नहीं पड़ता ।विक्रम उदास नज़रों के साथ अपनी कार में बैठ कर चला गया । करता भी बेचारा !
रागिनी कॉलेज चली गई। पर पूरे दिन उसकी नज़र नीची ही रही।अपने आप को गुनहगार समझ रही थी। विक्रम की उदासी की वजह वो खुद को मान रही थी । ।उसकी सहेलियों ने पूछा भी कि क्या हुआ पर रागिनी ने सिर हिलाकर कुछ नहीं बताया । ज्योति बोल पड़ी- क्या हुआ Mr. विक्रम से फिर से सामना हुआ क्या?
रागिनी के दिल की हालत से ज्योति अच्छी तरह से वाकिफ़ थी।वो भी समझ रही थी कि रागिनी के दिल और दिमाग दोनों में विक्रम है। पर पता नहीं क्यों विक्रम को नहीं जताना चाहती ।
ऐसा कौन सा मंदिर, दरगाह,गुरुद्वारा और मस्जिद नहीं है जहाँ उसने विक्रम की खैरियत न माँगी हो। फिर रागिनी ऐसा बर्ताव विक्रम के साथ क्यों कर रही थी ।ज्योति को सब समझ आ रहा था।
रागिनी अपने बचाव के लिए ऐसा कर रही थी। कहीं एक बार वो विक्रम के सामने कमज़ोर पड़ गई तो रागिनी के दिल की बात विक्रम समझ जाएगा और रागिनी को हक से अपना बनाने की कोशिश करेगा ।
रागिनी जानती थी कि उसके और विक्रम के एक होने की कोई उम्मीद नहीं है । इसलिए वो यही दिखाती थी कि उसे विक्रम में कोई रुचि नहीं है।
...........आगे की कहानी अगले अंक में