आप भी सीखो!
आप भी सीखो!


"हे भगवान समझ नहीं आता, कब मैं पोते का मुंह देख पाऊंगी, कैसी नकारा बहू मिली है जो एक बच्चा पैदा नहीं कर पा रही।" तेज आवाज़ में बोलते हुए पिया की सास बोली।
"अरे! चुप हो जाओ तुम, रोज रोज एक ही बात करने से क्या फायदा; जब जानती हो की बहू का इलाज चल रहा है, अब क्या कर सकते हैं उसमें; अब जैसी बहू है निभानी तो पड़ेगी।" व्यंग्य से बोलते हुए पिया के ससुरजी महेश बोले।
"मैं तो कह रही थी, की अमन की दूसरी शादी करा दो, पर मेरी सुनता कौन है।" मुंह बनाते हुए पिया की सास बोली।
"अब चुप हो जाओ, अब कुछ नहीं हो सकता।" महेश बोले।
पिया अपने रूम से सब सुन रही थी और उसकी आंखों में से आँसू बहे जा रहे थे, सोच रही थी अगर इनकी खुद की बेटी इस परेशानी में होती, तो भी ये लोग ऐसे ही बातें करते।
शाम को पिया ने पति अमन को सब बताया, तो अमन बोला" चीजें सहना सीखो, कह दिया तो कहने दो, बड़े तो कहते रहते हैं, इतना नाटक क्यों करती रहती हो।" झल्लाते हुए अमन बोला।
"जबसे आई हूं, तबसे सुन ही रही हूं, कभी शक्ल को लेकर, कभी अक्ल को लेकर, कभी हाइट को लेकर और ना जाने क्या क्या।" दुखी होते हुए पिया बोली।
"स्पेशल नहीं हो तुम सुनने वाली, सभी सुनते हैं इतना तो, मार पीट थोड़े ही ना रहा कोई तुम्हें और अब सो जाओ चुपचाप और सुनने में कोई बुराई नहीं है, बड़े बूढ़े हैं कोई बात नहीं है।" चिल्लाते हुए अमन बोला।
दूसरे दिन सन्डे था, दोपहर में अचानक महेश जी ने अमन को आवाज़ लगाई और अमन, महेश जी के पास गया और महेश जी ने पूछा "ये बहू क्या कह रही है, तुम लोगों के बच्चा होने में जो परेशानी आ रही है, वो तेरी वजह से है, मतलब परेशानी तेरे अंदर है?"
अमन सुनकर हैरान रह गया और फिर हकलाते हुए बोला" हां पापा, इलाज पिया क
ा नहीं मेरा चल रहा है।"
पिया किचन से सब सुन रही थी और सुशीला जी वहीं सोफे पर दुखी सी बैठी थी, जो अब और भी परेशान और दुखी हो गई, क्यूंकि अब बेटे के मुंह से सच जो सुन लिया था।
"हमसे सच क्यों छुपाया बेटा?" प्यार से महेश जी ने पूछा।
"मुझे लगा आपको सुनकर तकलीफ़ पहुँचेगी, क्या सोचोगे आप लोग?" थोड़ा झिझकते हुए अमन बोला।
"बेटा, मां बाप से किया झिझकना, इसमें तेरी ग़लती थोड़े ही ना है, इलाज तो चल ही रहा है ना, सब सही हो जाएगा, बस ये बात बाहर तक नहीं जानी चाहिए, थोड़ा अच्छा नहीं लगता।" सुशीला बोली।
"क्यों अच्छा नहीं लगता मम्मी जी, मेरी ग़लती ना होने पर भी आप मुझे ताने मारती रही, आपको तो पता था मेरा इलाज चल रहा है, ये सब मेरे हाथ में तो नहीं था, फिर भी एक औरत होकर आप समझ नहीं पाई, बात जब बेटे के आई, तो सारे ताने प्यार में बदल गए और पापा जी आप तो व्यंग्य बहुत अच्छा करते हैं और ये मेरे पति जिन्होंने मुझसे कहा था, की प्लीज तुम सबसे यही कहना, की कमी तुम्हारे अंदर है, नहीं तो मेरा मजाक बन जाएगा, मैंने इनको बोला, की इसमें मजाक वाली क्या बात है, क्या किसी को कभी कोई परेशानी नहीं हो सकती, लेकिन इन्होंने रिक्वेस्ट, की मैं किसी को सच्चाई ना बताऊं और मैंने नहीं बताया, सब अपने ऊपर लिया पति के सम्मान की खातिर, लेकिन मुझे क्या मिला, जिस पति के लिए कर रही थी, वो कौन सा कोई एहसान मान रहा है, वो तो कहते हैं, सहना सीखो, सुनना सीखो, तो अब पतिदेव आप भी सुनना सीखो, सहना सीखो, कम से कम आप अपने पैरेंट्स को कुछ तो समझा सकते थे, पर नहीं, ये सीखो वो सहो का भाषण दे दिया।" पिया ने कहा।
आज सबके सर नीचे झुके हुए थे, क्यूंकि पिया ने एक सच्चाई सामने ला दी, किसी के मुंह से कुछ नहीं निकल पाया कहने को।