आओ थोड़ा कचरा हम ही साफ कर लें
आओ थोड़ा कचरा हम ही साफ कर लें
आज सुबह से प्रियंका के पाँच-छः फोन आ गए। मैंने इतना परेशान उसे कभी नहीं देखा था। बस कहे जा रही थी बताओ मैं अपनी समस्या का हल कैसे निकालूं ?
बात दरअसल यह थी कि, उसके घर के सामने दूसरे अपार्टमेंट की छत थी और कोई निर्लज्ज व्यक्ति वक्त-बेवक्त उसके घर के सामने खड़ा होकर घर में झांकता रहता था।
प्रियंका के कुछ महीनों से अकेले रहने के कारण वह असहाय महसूस कर रहे थी। प्रियंका पर्दे भी नहीं लगाना चाहती थी क्योंकि इससे घर में अंधेरा होने के साथ-साथ हवा का आवागमन भी रुक रहा था।
अतः मैंने उसे यही सुझाव दिया कि, क्यो न तुम अपने मोबाइल में उसका वीडियो बना लो व उसकी तस्वीर खींचकर व्हाट्सएप ग्रुप में डाल दो ताकि सब जान जाएं। और अगर उसके अपार्टमेंट के लोगों तक भी पहुंच जाएं तो फिर तो हमेशा के लिए तुम्हारा तनाव दूर हो जाएगा। परिणाम सकारात्मक निकला न सिर्फ उस घृणित व्यक्ति के अपार्टमेंट के लोगों को वरन उसके परिवार को भी असलियत का पता चल गया।
प्रियंका ने ख़ूब वाहवाही लूटी। सब कहने लगे तुमने खुद को पर्दे के पीछे छिपाने की बजाय खुली हवा में सांस लेना चुना और दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत भी बनी।