Sneha Dhanodkar

Drama Romance Fantasy

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Sneha Dhanodkar

Drama Romance Fantasy

आओ हुजूर तुमको..

आओ हुजूर तुमको..

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रेवा और रोहित की शादी हुये दो महीने हुये थे संयुक्त परिवार में रहने के कारण दोनों एक दूसरे को कम ही समय दे पाते थे। और तो और दोनों हनीमून पर भी नहीं गये थे।

रेवा के शादी के पहले हनीमून और पति को लेकर सजाये सारे सपने चूर हो गये थे।

वो शुरुआत से ही थोड़ी फ़िल्मी थी तो उसके ख्यालात भी वैसे ही थे। उसे लगता था असल जिंदगी में भी फिल्मों की तरह होती होगी। हीरो अपनी हीरोइन को गोद में उठाकर कमरे में ले जाता होगा, रोमांस करता होता। मोमबत्ती से सजे हुये कमरों में दोनों की रातें गुजरती होंगी। ठंड के मौसम में दोनों एक चादर में एक दूसरे की बांहों में सिमटे दिन गुजारते होंगे। और भी ना जाने क्या क्या।।

उसने ये सारी बातें रोहित को शादी के पहले बताया था की वो कितनी रोमांटिक है। तब तो उसने बस हँस कर बात टाल दी थी।

पर अब रेवा को लगने लगा था की वो ही गलत सोचती थी ये सब सिर्फ फिल्मी कहानियाँ है। इनका असल जिंदगी से कोई वास्ता नहीं होता। असल जिंदगी में तो ऐसा सोचना भी पाप होता है। पति पत्नी का रिश्ता बस बंद कमरे में निभाया जाता है। वो भी चुप चाप। ये सब तो दिखावा मात्र है। अब वो बस यूं ही गुमसुम अपने कर्तव्यों का पालन करती। ज्यादा कुछ ना बोलती ना किसी से उम्मीद रखती।

तभी एक दिन रोहित ने कहा रेवा चलो थोड़ा घूम आये।

माँ को बताया कैब बुकिंग की और निकल गये। रेवा को लगा था शाम तक आ जायेंगे।

पर वो तो एयरपोर्ट पहुंच गये थे दोनों जम्मू जा रहे थे रेवा ने बोला मेरा सामान तो रोहित बोला मैंने सब ले लिया है उसे बड़ा आश्चर्य हुआ।

जब जम्मू होटल में पहुँचे तो वो रूम बिल्कुल उसके फ़िल्मी ख़्यालात की तरह सजा हुआ था, रोहित उसे गोद में उठा कर रूम में ले जा रहे थे ये गाते हुये की.. आओ हुजूर तुमको... रेवा ख़ुशी के आँसू छलकाती मन में सोच रही थी ले सिमरन जी ले अपनी जिंदगी।।।



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