आंसू
आंसू


"पिता जी, आज फिर से तुम बीड़ी पी रहे हो? सिगरेट का भी नशा करते हो, मौका देखकर दारू भी पी लेते हो। हम अभी छोटे हैं और तुम पैसे को बर्बाद कर रहे हो"- राजू ने अपने पिता से कहा।
रमन ने अपने पुत्र को डांटते हुए कहा कि "जा, भाग जा। जुबान न लड़ा। मुझे शिक्षा न दे। अपनी जुबान लड़ानेे से पहले तुम्हें सोच लेना चाहिए कि मैं दिन भर मेहनत करके कमाता हूं और उसमें से कुछ खर्च कर दूं तो क्या दिक्कत है?"
राजू ने एक बार फिर से हिम्मत करते हुए कहा - "पिता जी, जो मेहनत करते हो उससे जो पैसे आते हैं, यदि वे पैसे अच्छे कार्यों में लगाए तो ज्यादा लाभ होगा।" रमन ने अपने पुत्र को दो थाप जड़ते हुए कहा कि"यह लो, मुझे शिक्षा देने का परिणाम। मैं यूं ही पीता रहूंगा, जिसमें दम हो वह मुझे रोक ले।" राजू रोने लगा।
राजू को रोते सुन कमली आई और अपने पति से कहने लगी कि "तुम्हें शर्म आनी चाहिए। बच्चा शिक्षा दे रहा है। उसे तुम पीट रहे हो।"
रमन ने कहा कि "कमली तुम जाओ, आज मेरा मूड अच्छा नहीं है। वरना मैं तुम्हें भी भी पीट डालूंगा।" कमली ने कहा कि अब तो इसका भगवान ही रखवाला है। सुबह से शाम दो बंडल बीड़ी के पी जाते हो, एक सिगरेट की डब्बी खत्म कर देते हो और दिन भर में पव्वा आधा या बोतल तक भी समाप्त कर देते हो। इससे निश्चित रूप से तुम्हारा अंत होगा।"
रमन ने कमली को कहा -"जाओ, जाओ। मुझे शिक्षा न दो। मैं वैसे अपने कार्य में व्यस्त हूं।" कमली मुंह लटकाये चली गई। रमन फिर से मद्यपान में लग गया।
समय चलता रहा। रमन ने बीड़ी, सिगरेट, हुक्का चिलम, तंबाकू ,पान, पान मसाला सब कुछ खाना पीना जारी रखा। यहां तक कि मौका देखकर दारू भी पी लेता। एक दिन उसका साथी कमल घर आया और उसने जब रमन की हालत देखी तो उससे रहा नहीं गया। उसने कहा- "दोस्त, अब तो बीड़ी, सिगरेट छोड़ देने में ही भलाई है। बच्चे थोड़े बड़े हो गए हैं। इनका ख्याल रखो। आगे इनकी विवाह, शादी करनी है। तुम अनावश्यक पैसों को खत्म करते हो।" रमन ने जवाब दिया-" दोस्त कमल, अगर तुम्हें भी कुछ मेरेे संग पीना है तो बताओ, वरना इन शिक्षाओं में क्या रखा है? मुझे पीना है और मैं पीकर रहूंगा।" कमल ने जाते-जाते कहा कि "आपकी मर्जी लेकिन मैं आपका सच्चा दोस्त हूं और आपसे निवेदन करता हूं, आपके पैर पकड़ता हूं कि आज से ये बीड़ी सिगरेट बंद कर दो। आज मद्यपान निषेध दिवस है। यह दिन बहुत शुभ है किंतु तुम नहीं मानते तो तुम्हारी मर्जी है।" कमल की आंखों में आंसू आ गए और वह रुआसे मन से बाहर निकल गया। एकदम सुबह सवेरे राजू ने कहा- मां," मैं शिव भोले के दर्शन करके आता हूं और भगवान से मैं यह मांगूंगा कि मेरे पिता को ठीक कर दिया जाए।" कमली ने कहा- "जाओ बेटा। परंतु डॉक्टर तो यही कह रहे थे कि अब इसका बचाना बहुत मुश्किल है", कहते कहते कमली की आंखों में आंसू आ गए। कमली धरती पर बैठ गई।
राजू पास के शिवालय पहुंचे। शिव भोले के दर्शन किए और शिव भोले से प्रार्थना की कि "इस बार बहुत बड़ी गलती हो गई है। मेरे पिता की रक्षा कर दो, यही वक्त है, वरना बहुत कुछ बर्बाद हो जाएगा। मैं इस धरती पर जीवित नहीं रह पाऊंगा।"
शिव भोले को नमन कर राजू घर की ओर पैदल चले आ रहे थे। रास्ते में भूषण नामक एक वैद्य मिला। बहुत बुजुर्ग, उनके लंबी लंबी दाढ़ी, सफेद दाढ़ी, सफेद बाल, पगड़ बांधे हुए ,धोती और कुर्ता लिबास, बहुत साधारण सा लग रहा था। राजू ने वैद्य को नमन किया। वैद्य ने राजू से पूछ लिया कि "बताओ बेटा, क्या सेवा है?" राजू ने तुरंत कहा --"हे देव, मेरे पिता बीड़ी, सिगरेट पी पी कर के अंतिम समय पर पहुंच गए हैं। खाट पर हैं। यदि उनकी जीवन की अवधि बढ़ जाए तो मुझे बड़ी खुशी होगी।"
वैद्य ने तुरंत कहा-"चलो में तुम्हारे घ
र चलता हूं और तुम्हारे पिता के हालात देखता हूं।" वैद्य सीधे उनके घर पर पहुंचे, उनके पिता की हालात देखकर कहा-"अफसोस बहुत देर हो चुकी है। इसके तो फेफड़े पूर्ण रूप से खत्म हो चुके हैं फिर भी मैं एक प्रयास करता हूं। भगवान शिव भोले ने चाहा तो इनकी उमर बहुत बढ़ जाएगी, पर शर्त यह है कि भविष्य में यह कभी सिगरेट, हुक्का नहीं पीयेगा, दारू नहीं पीयेगा। कमली और राजू ने आश्वासन दिया। वैद्य ने उन्हें कुछ दवाई लाने के लिए कहा और उन्हें तरीका बताया कि प्रतिदिन कैसे यह दवाई खिलानी है।" राजू के पास पैसे नही थे। घर में भी पैसे नहीं थे। जो पैसे थे वो रमन ने बर्बाद कर दिये थे। मां के कुछ गहने बचे हुए थे। ऐसे में गहने बेचने को मजबूर हो गया क्योंकि घर में कोई पैसा नहीं बचा था। बहुत सा पैसा था वह तो दारू पर उड़ा दिया था, थोड़ा बहुत पैसा बचा वो खाने पर खर्च हो गया था। मां के कुछ आभूषण थे। कमली ने कहा- बेटा, ये मेरे अंतिम आभूषण हैं। यह तुम्हारे पिता की रक्षा कर पाए तो ज्यादा बेहतर होगा। मुझे आभूषणों की कोई जरूरत नहीं है। इतना कहकर कामिनी कमली की आंखों में आंसू आ गए और कमली ने अपने आप को शांत किया। राजू आभूषण लेकर बाजार गया और उन्हें बेचकर अपने पिता के लिए दवा लेकर आया। धीरे-धीरे दवा पिलाने लगा।
दवा का बहुत बेहतर प्रभाव पड़ा। रमन चारपाई से खड़ा होना चलने फिरने लगा। देखते ही देखते थोड़ी दूर घूमना शुरू कर दिया। ऐसा लगा कि एक बार फिर से जीवन आ गया है। राजू और कमली बहुत खुश थे कि सब कुछ लुटा कर भी अगर इसकी जान बच जाए तो ज्यादा बेहतर होगा। समय बीतता गया लेकिन कहते हैं जिसको एक बार लत पड़ जाए वह लत वाले पदार्थों को नहीं छोड़ पाता। उसने राजू को बुलाकर कहा कि" कुछ पैसों की जरूरत है, जो तुम्हारे पास है, मुझे दे दो।" राजू ने कहा- "पिता जी, मैं तुम्हारी दवा के लिए ये पैसे बचा रखे हैं। यह मां के गहने बेचकर लाया हूं। अगर आप इन्हें भी बर्बाद करना चाहे तो कर दो। हमें भी मार डालो।" रमन ने कहा कि बेटा, "अब मेरी जिंदगी बहुत कम बची है और मेरी इच्छा है कि मैं अपनी इच्छानुसार कुछ खा पी लू।" राजू ने कहा-" पिता जी, तुम कुछ भी खाना चाहिए, अपना शरीर बेचकर भी तुम्हें खिलाने का प्रयास करूंगा लेकिन मैं हाथ पैर जोड़ता हूं कि तुम दारू मत पीना।" परंतु रमन की आदत बिगड़ चुकी । उसने अपने दोस्तों को बुलाना शुरू कर दिया और उसके दोस्तों रमन को चोरी-छिपे बीड़ी, सिगरेट या दारू दे जाते। एक बार फिर से वही हालात बिगडऩे लगे। रमन फिर से चारपाई पर लेट गया। अब राजू और कमली ने सोच लिया कि अब नहीं बचेगा। एक बार फिर से डॉक्टर के पास ले गए। डाक्टर ने कहा कि अब इसके बचने की कोई गुंजाइश नहीं है, फिर भी उन्होंने कहा अस्पताल में इनका उपचार करते हैं क्योंकि यह कुछ दिनों के मेहमान है। अस्पताल में इलाज चलने लगा। एक सुबह कमली और राजू बैठे-बैठे सोच रहे थे। तभी रमन ने जोर से हिचकी ली और शांत हो गया। राजू चिल्लाया- डॉक्टर साहब, तुरंत आओ। डाक्टर तुरंत दौड़कर आए और रमन को देख कर कहा- "अब भगवान को प्यारे हो गए हैं।" राजू कमली की आंखों से आंसू बह रहे थे। कुछ बोल नहीं पा रहे थे। डाक्टर ने कहा- "कितने लोग इसी प्रकार अपनी जिंदगी को बीड़ी, सिगरेट, शराब में गंवा देते हैं। अगर यूं ही लोग अपने जीवन को बर्बाद करते रहे तो आने वाली पीढ़ी पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। आने वाले समय में लोग इनके आदि हो जाएंगे। मृत्यु दर बढ़ जाएगा। उन्होंने कहा कि अब भी समय है, हम देश की भावी पीढ़ी को इन व्यसनों से बचा सकते हैं। जिसमें हम सभी का सहयोग चाहिए। कमली और राजू आज सोचने पर विवश हो गए कि किस प्रकार बीड़ी, सिगरेट मौत को दावत देते है। उन्होंने शपथ ली कि हम किसी को परिवार में न तो बीड़ी, सिगरेट पीने देंगे और न खुद पीयेंगे।"