Saket Shubham

Romance

4.5  

Saket Shubham

Romance

आखिरी ख़त

आखिरी ख़त

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जब मैं खाना खाने बैठा तो याद आया कि आज शाम की चाय मैंने नही पी है। कॉलेज आने के बाद चाय और चाय के रंग में रंगी आंखों वाली लड़की ने ही शायद मुझे ज़िंदा रखा है। वो लड़की जिसे देखते ही प्यार हो गया था और न जाने कब वो मेरे दिल का पांचवां चैम्बर बन गयी थी जो मेरे दिल के बाकी के चार चैंबरों और धमनियों को नियंत्रित करने लग गयी थी। ये सब सोच ही रहा था कि पास बैठे एक मित्र ने टोका, "किसके ख्याल में खोए हुए हो ?"

मैंने अनायास ही चाय का नाम लिया और फिर हम चाय पीने निकल पड़े। मेरे मित्र ने मेरे विचलित मन को भांपते हुए पूछा, " क्या हुआ है तुम्हें ?"

मैंने भी भावुक होकर सब उसे सुना दिया। मैंने चाय की पहली घूँट पी और बोलना शुरू किया, "पहली मुलाकात में किसी लड़की से बात होना और उससे एक विचित्र सा जुड़ाव महसूस करना ही बहुत विचित्र बात है। इसी चाय दुकान पर उससे पहली बार मिला था। उस वक़्त एक हाथ में मोबाइल लेकर चाय आने का इंतज़ार कर रहा था। एक भूरी आँखों वाली लड़की अपने मदमस्त चाल में आई और मेरे से थोड़ी दूरी पर खड़ी हो गयी। मैं अपने मोबाइल स्क्रीन को बार बार बन्द कर रहा था और खोल रहा था। स्क्रीन पर, 'बोल के लब आज़ाद हैं तेरे' लिखा हुआ था। उसने शायद ये पढ़ा और अचानक से मुझसे आकर पूछा, 'फ़ैज़ साहब को पढ़ते हो ?'

मैंने हाँ में सिर हिलाया और फिर दो शायरी-कविता पसंद करने वालो की बात शुरू हो गयी। बात शायरी, प्यार से शुरू होकर ज़िन्दगी पर तब तक चली जब तक चाय दुकान बंद न हो गयी। जाते वक्त मैंने हिम्मत करके उसका नंबर माँग लिया तो उसने जवाब नहीं दिया। फिर उसने दादी को 2 चाय के 14 रुपये दिए और पीछे मुड़ कर कहा, 'तुम लिखते हो न ? तो मुझे खत ही लिखा करना और ईमेल से भेजा करना।' उसने अपनी ईमेल आइडी दी और चली गयी।"

मेरे मित्र ने फिर रुचि लेते हुए पूछा, "तो खत लिखे तुमने ? डेट पर तो गए ही थे न तुम, तो उसके लिए कैसे पूछा ?"

मैंने हँसते हुए कहा, "हाँ हमने एक दूसरे को बहुत सारे खत लिखे। और डेट के लिए पूछने के लिए लिखा था कि, 'बड़ी भूरी आँखें, मासूम सी शक़्ल और हल्की प्यारी सी मुस्कान शायद यही सब तो चाहिए पहली नज़र में प्यार होने के लिए। मुझे भी शायद हुआ हो जब चाय दुकान पर पहली बार देखा था लेकिन ज़िंदगी में हुए बहुत सारे मजाक की तरह उसे भी मज़ाक में उड़ा दिया था। अब बीते महीनों में बात करने पर ये भी यकीन से कह सकता हूँ कि तुम्हारे दिल से तो मुहब्बत की ही जा सकती है।

शायद ये किसी लड़की को बाहर साथ चलने के लिए- वो क्या कहते हैं डेट पर चलने के लिए पूछने के लिए सबसे अजीब तरीका हो, लेकिन शायद तुम्हारी तारीफ पहले करने के बाद पूछना सही रहेगा- हो सकता है साथ चलने का प्रतिशत बढ़ जाये। तुम्हारी आँखों में देख कविता सुनाना चाहता हूँ और इसके लिए मिलना होगा। ज़िन्दगी को भी मैं ये बताना चाहता हूँ कि मुझे अब तुम्हारा मज़ाक करना ही पसंद हो गया है। क्या तुम इस ज़िन्दगी का सबसे प्यारा मज़ाक बनते हुए मेरे साथ मजाक में ही सही डेट पर चलोगी ?

हाँ या ना मत कहना, जब जहां जाना होगा वो तुम तय कर लेना और मुझसे डेट के लिए पूछ लेना।"

मेरे दोस्त ने पूछा, "तो अब क्या हुआ ?"

मैंने कहा, "एक दिन पहले वो ये शहर छोड़ के चली गयी और जाने से पहले उसने आखिरी खत भेजा। उसने लिखा कि, 'खत लिखना बेहद खूबसूरत एहसास है। तुम मेरे जीवन के उस पड़ाव की तरह हो जिसकी तलाश में लोग मिलों का सफर तय करते हैं। पर मैं शायद भूल गयी थी कि फिर से ज़िन्दगी को ज़िन्दगी के सफर के लिए तयशुदा वक़्त पर निकलना होता है। मैंने तुम्हारे और अपने घरवालों में अपने घरवालों को चुना है। तुम मेरे जीवन में मेरे सबसे बड़े प्रशंसक रहे हो पर शायद इस ज़िन्दगी से मुझे आलोचक ही चाहिये। जब हम साथ होते हैं तो शायद पूरी दुनिया ही हम दोनों में समा जाती है। इसीलिए जा रही हूँ ताकि तुम्हें भूलने में आसानी हो। मुझे माफ कर देना।

तो अंत में एक मुस्कान या वो अंग्रेज़ी वाला चियर्स मेरी खूबसूरती के लिए, तुम्हारे प्रेम के लिए, मेरे गाल के लिए, तुम्हारे हाथ के लिए, मेरी कविता के लिए, तुम्हारे कहानियों के लिए, तुम्हारी उंगलियों के लिए, मेरी लटों के लिए, तुम्हारे सफेद कुर्ते के लिए, मेरे नीले लिबास के लिए, मेरी झुकती नज़रों के लिए, तुम्हारे चेहरे के मुस्कान के लिए, मेरे जानू के लिए, तुम्हारे सोना के लिए, पहली डेट के लिए, हमारी दोस्ती के लिए, हमारे झगड़े के लिए, चाय के लिए, विश्वास के लिए, हमारी साँसों के लिए, स्पर्श के लिए, एक दूसरे के सम्मान के लिए, तुम्हारे जीवन में मेरे वक़्त के लिए, मेरे प्यार के लिए, तुम्हारे प्यार के लिए, हमारे खुद से प्रेम के लिए, बीत गए सुनहरे वक़्त के लिए, आने वाले वक्त के लिए, ज़िन्दगी के लिए और ज़िन्दगी से हमारे प्रेम के लिए।

तुम्हारी हमनफस"

दोस्त ने फिर पूछा, "हमेशा उसी से प्यार करते रहोगे ?"

मैंने कहा, "कुछ कहानी इतनी खूबसूरत होती है कि उससे ही प्यार हो जाये। ये तो प्यार से प्यार करने के ज़िद है, जिसमें इस रिश्ते के डोर के दोनों सिरों को बांध दिया गया हो और मेरे प्यार के ताले को कहीं बीच में लटकता छोड़ दिया गया हो।"


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