आज कुछ मीठा सा
आज कुछ मीठा सा
मैंने पति से कहा, "आज एक गुलाब ला दीजिए।"
वो गए बाजार, गोभी ला दिए।
मैं तमतमाते हुए बोली, "अरे ..ये क्या ... मेरा फूल ?"
वो मुस्कुराते हुए बोले, "फूल ही तो है..जाओ इसके पकौड़े बनाओ। फूलों के झूठे चक्कर में मत पड़ो। देखती नहीं, खुश्बू लेने के बाद लोग इतने मंहगे फूलों को कैसे कूड़ेदान में फेंक देते हैं। एक मैं हूँ.. जो तुझे सीने से लगाकर हमेशा ताज़ा बनाए रखता हूँ।"
सुनते ही मैं फुलकर कुप्पा हो गई, अनार के दाने मोतियों की तरह होठों पे निखर गई।
मैं भागी किचन ..पकौड़े बनाकर ले आई। पकौड़े देखकर इनका दिल बाग-बाग हो गया और एक फूल के बदले, हजारों फूल मेरे चेहरे पर अनायास खिल गये।