Shailaja Bhattad

Abstract

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Shailaja Bhattad

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आग

आग

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"केशव तुम्हारा आर्मी कैंप से फोन आया है। तुरंत बुलाया है"। केशव के पिता ने सूचना दी। केशव जो कि कल ही एक सप्ताह की छुट्टी लेकर शादी के बाद की पहली होली मनाने घर आया था, वापस जाने के लिए अपनी सूटकेस जो कि अभी तक उसने अच्छे से खोली भी नहीं थी, बाहर लाने के लिए घर के अंदर की ओर मुड़ा।

तभी माताजी ने कहा "बेटा होलिका दहन की पूजा पूरी करके ही निकलना"। अभी तक केशव जो कि शांति से अग्नि के सामने खड़ा बुराई पर अच्छाई की विजय की कामना कर रहा था अशांत भाव से धधक उठा और आग बाहर ही नहीं अंदर भी धधक उठी जिसने केशव को सीमा पर दुश्मनों के छक्के छुड़ाने के लिए बेचैन कर दिया।


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