Abasaheb Mhaske

Tragedy

3.1  

Abasaheb Mhaske

Tragedy

आग तो लगी है यहाँ भी और वहां भी ...

आग तो लगी है यहाँ भी और वहां भी ...

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आग तो लगी हैं यहाँ भी और वहाँ भी

फ़र्क सिर्फ इतना है वहाँ मिडिया बिकी नहीं

क्या फर्क पड़ता अपने हो या बेगाने

सच्ची देशभक्ति को कुर्बानिया ही देना है


यह तो सदियों से चलता आया है

मुगल ,अंग्रेज ,फ्रेंच , डच ,हिटलर

चाहे क्यों ना हो हमारे अपने चुने हुये

सच और झूट की लड़ाई तो अटल है


अपना देश मिटटी के लिए मर मिटनेवाले

कल भी थे ,आज भी हैं और कल भी रहेंगे

दुःख तो सिर्फ इतना है जुल्म ढानेवाले

हमारे अपने हैं खैर वो भी एक इतिहास रहा है


क्या करें ? समाज में नहीं आता जब

दो - दो हाथ करने का वक्त आता है

तब तकलीफ तो होती है पर जरुरत भी 

संघर्ष तो अटल हैं रामायण हो महाभारत!


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