STORYMIRROR

Deepak Kumar

Horror Tragedy Thriller

3  

Deepak Kumar

Horror Tragedy Thriller

आदमखोर का दहशत

आदमखोर का दहशत

6 mins
23

नमस्कार दोस्तों पेश है। एक खूनी और डरावनी कहानी। "आदमखोर जल्लाद" तो चलिए शुरू करते हैं इस खूनी सफर को। शहर की भीड़-भाड़ से दूर, जंगलों के बीच एक पुराना हवेलीनुमा खंडहर। एकदम वीरान, हवा में तैरती एक अजीब महक और दीवारों में उगता फफूंद। ग्रामीणों का कहना है। "उस हवेली में एक ऐसा प्राणी रहता है जो इंसानी मांस का सेवन कर ज़िंदा है।" उसका नाम उसका इतिहास सब धुंधली, सब बस उसे आदमखोर जल्लाद कहते हैं। भाग १ वर्षों बाद। एक लकड़ हारा वहां भटकते हुए लकड़ी काटने गया। बारिश हो रही थी। सो वह गलती से हवेली के अंदर चला गया। भूख से बेहाल था, सोचा शायद छत मिल जाए रात गुज़ारने को। पर जैसे ही उसने अंदर कदम रखा, दरवाज़ा अपने आप बंद हो गया। कमरे के कोनों में अंधेरा लहराने लगा, मानो परछाइयाँ जिंदा हो रही हों। अचानक — दो गहरी अंधेरी आँखें दीवार से निकलीं। एक लम्बा, दुबला, हड्डियों से लटकता शरीर उसके सामने आ खड़ा हुआ। उसके दांत नुकीले और रक्त से सने थे। वह लकड़हारा उस प्राणी को देख डर से वहीं जड़ हो गया। वो भागना चाहता था पर भाग नहीं पाया। अगले ही पल उस भयानक प्राणी ने अपने नाखूनों से उसका छाती चीर दिया और उसके शरीर के अंदरूनी अंगों को खाने लगा। सुबह कमरू की खोखली लाश मिली। उसके बाद गाँव के कई लोग लापता होने लगे। लाशें बाद में मिलती। उधेड़ी हुई खाल, खोखली शरीर। एक दिन शहर से कुछ मॉडर्न लड़के कैमरा लेकर वहाँ पहुँचे। वे यूट्यूबर थे। घूम घूम कर रहस्यमई जगहों का ब्लॉग बनाते थे। उन्हें जब इन घटनाओं के बारे में खबर मिली। वे उस हवेली में पहुंच गए। जैसे ही उन्होंने हवेली में कदम रखा, कैमरे की स्क्रीन अपने आप ब्लैक हो गई। अंधेरा और गहरा हो गया। कुछ ही पलों बाद वहां चीखों का सैलाब उमड़ पड़ा। सुबह गाँव वालों को सिर्फ टूटा कैमरा और अधूरी खाई लाशें मिली। उस कैमरे का आखिरी क्लिप - एक साया उसकी गहरी आँखें। लंबे बाल। उन बालों से ढके कान और नुकीले दांत, नाखून। उनमें से टपकता लहू। उस खंडहरनुमा हवेली में दर्जनों मौत होने के बाद अब आदमखोर जल्लाद को नया शिकार मिलना मुश्किल होने लगा। आस पास के गाँव लगभग खाली हो चुके थे। बचे हुए लोग अपने परिवार समेत वहां से भाग गए थे। आदमखोर जल्लाद भूख से बेहाल होने लगा। उसकी देह फिर से धंसने लगी। उसके भीतर भूख इतनी बढ़ गई कि वो हवेली में मौजूद कीड़े मकोड़ों को खाने लगा। गुर्राते हुए चीखने लगा। "मांस! मांस! और मांस! भूखा हूँ। एक रोज वह काँपते कदमों से हवेली से बाहर निकला। पहाड़ी चढ़ा। दूर उसे जगमगाती रोशनी से नहाया हुआ शहर दिखा। वो उस रोशनी की ओर बढ़ा। और अंधेरे में खो गया। भाग २ भीड़भाड़ वाली सड़कें, एलईडी लाइट्स, और लोग देर रात तक चहल-पहल में। किसी ने सोचा भी नहीं था कि मौत इतनी खामोशी से उनके बीच आएगी। एक टैक्सी ड्राइवर अपनी गाड़ी पार्क करके पान खा रहा था। तभी गली के सन्नाटे से एक साया उभरा। उससे पहले कि वह चीख पाता, उस साए ने अपने नुकीले नाखून से उसके शरीर को चीरते हुए। उसका कलेजा निकाल खाने लगा। सुबह उसकी उधेड़ी हुई लाश मिली— गाड़ी में बैठी, लहू से नहाई हुई। कुछ ही दिनों में, हर रात कोई न कोई लापता होने लगा। किसी की लाश पार्क में मिलती, किसी की रेलवे ट्रैक किनारे। उधेड़ी हुई लाशें और अध खाई हुई लाशों ने शहर में दहशत मचा दी। पुलिस उलझन में थी। मीडिया ने नाम दिया— “आदमखोर”। मगर एक बूढ़े पंडित, जो गाँव से भागे थे, जानते थे— यह वही आदमखोर है। आनन फानन में दिल्ली से इंटेलिजेंस ऑफिसर राधा कृपलानी को केस सौंपा गया। दर्जन भर कमांडोज के साथ वो उस शहर में दाखिल हुई। राधा ने कैमरे की उस टूटी फुटेज को देखा जिसमें गहरी आँखों वाला वह आदमखोर था। वह बोली— "ये इंसान नहीं… ये कोई श्रापित दानव है।" राधा ने अपनी टीम में तंत्र-मंत्र के जानकारों को शामिल किया। उन्होंने बताया कि नरभक्षी को खत्म करने का सिर्फ एक ही तरीका है— उसे उसी हवेली में ले जाकर उस अधूरे मंत्र को पूरा कर उसके आत्मा को मुक्त करना होगा। एक रात। अब चुनौती थी— उसे पकड़ना। एक रात राधा ने जाल बिछाया। शहर के बाहर एक पुराना बंगला। वहां बकरे के मांस के टुकड़ों को बिखेर। उन पर बल्ड बैंक से लाए इंसानी खून डाल दिया गया। आधी रात को जैसे ही आदमखोर आया, वहां मांस खाने लगा। चारों तरफ से उसपर हेलोजन की लाइट मारी गई। वह चीखा, उसकी आँखें जलने लगीं। दर्जनों कमांडो और पुलिस के जवान उस पर टूट पड़े। मगर वह इतना शक्तिशाली था की जवानों पर ही हावी हो गया। बहुत से जवान मारे गए। कुछ घायल हो गए। राधा ने फायरिंग का ऑर्डर दिया। गोलियों से भी उसका कुछ नहीं बिगड़ा। राधा ने तय किया— अब इस दानव को हवेली में वापस ले जाना ही होगा। लेकिन सवाल था— कैसे? कुछ सोचकर वो वहीं खड़ी आर्मी की बख्तर बंद वाहन का दरवाजा खोल। मांस और खून को अंदर बिखेर दी। इंसानी मांस और खून की महक से वो पागल हो उठा। वो दौड़ता गुर्राता हुआ उस वाहन में दाखिल हुआ। बाहर ताक में छिपी राधा और उसकी टीम फटाक से दरवाज़ा बंद करते हैं। वाहन चालक को इशारा कर। बाकी बचे जवानों के साथ वे भी उसके पीछे निकल लेते हैं। भाग ३ आसमान में काले बादल, हवा में सड़ी हुई लाशों की बदबू, और चारों घोर ओर सन्नाटा। एक बख्तर बंद आर्मी का वाहन। तेज गति से उस हवेली में पहुंची। हवेली के भीतर जलते दीये और उनका इंतजार कर रहे तांत्रिकों की टोली। उन्हें देखते ही वहां तांत्रिक मंत्रों की गूंज होने लगी। "आज या तो वो खत्म होगा… या हम सब।" राधा ने ठान लिया था। अपने हाथ में पिस्तौल पकड़े। अचानक? हवेली का माहौल बिगड़ने लगा। उसे जंजीरों में जकड़े । उसे खींचते हवेली के अंदर ले जाया गया। दीये बुझने लगे। तांत्रिकों ने मंत्रोच्चार तेज़ किया। आदम खोर अचानक जंजीरों को तोड़। तांत्रिकों पर झपटा। दो तांत्रिकों के उसके पंजों से चिथड़े हो गए। बाकी डर से भाग खड़े हुए। बचे खुचे कमांडोज और पुलिस की टीम भरसक कोशिश करने लगी। तभी राधा ने देखा— हवेली के बीचो बीच एक कुंड। एक पुरानी पुस्तक। उसे उठाई और पढ़ने लगी। जैसे ही राधा ने मंत्र पढ़ना शुरू किया, हवेली की छत से काली आग बरसने लगी। नरभक्षी पागलों की तरह झूम उठा। और बोला। "नहीं… नहीं…तुम मुझे नहीं मिटा सकते। मैं अमर हूँ। वह पुलिस और कमांडोज की टीम को छोड़। राधा की ओर झपटा। उसके नुकीले दाँत उसके चेहरे से कुछ इंच दूर थे कि तभी कुंड की आग धधक उठी और उसे जकड़ लिया। उसे अपनी ओर खींचने लगी। कमांडोज की टीम ने भी अपनी गन से उसपर फायरिंग झोंक दी। उस आग की कैद से उसकी चीख निकल गई। वो चीख इतनी भयानक थी कि हवेली चरमरा उठा। उसकी दीवारें ढहने लगी। धीरे-धीरे उसका शरीर गलने लगा, हड्डियाँ राख में बदल गईं और वो उस कुंड में समा गया। कुछ देर बाद सब शांत हो गया। हवेली ढह चुकी थी। राख और धुएँ के बीच राधा अपनी कुछेक बची टीम के साथ खड़ी थी, ज़िंदा। उसने धीरे से कहा— "अब तेरा आतंक खत्म… आदम खोर शैतान" इसी के साथ इस दिल दहला देने वाली कहानी का अंत करता हूँ। धन्यवाद।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Horror