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Deepak Kumar

Children Stories Tragedy Children

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Deepak Kumar

Children Stories Tragedy Children

छोटा बच्चा

छोटा बच्चा

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एक बच्चा था छोटा सा मंदिर के बाहर फूल बेच रहा था। मैले कुचेले कपड़े पहने थे जूते तो पहने थे पर किसी के फेंके हुए लग रहे थे। फूल उसके बिक नहीं रहे थे। वो परेशान और हताश था। अचानक एक परिवार उसके पास आया और कितने के फूल दिए पूछा ; बच्चे की आंखों में चमक आ गई उसने पांच रुपए के पांच फूल कहा। उन्होंने बीस रुपए के लिए और आगे बढ़ गए।

उन पैसों को बच्चा अपने पैंट की पाकिट में रखा और मंदिर आने वाले लोगों को उम्मीद से देखने लगा। 

समय दोपहर का होने लगा । पंडित जी मंदिर से कुछ प्रसाद एक दोने में लाकर उस बच्चे को दिए। वो दोना पकड़ा और खाने लगा उसके कुछ जूठन प्रसाद फूलों में गिर गए।

पंडित जी बोले ये फूल बेकार हो गए इन्हें फेंक दो। बच्चे ने हां में सिर को हिलाया और प्रसाद खाने के बाद फूलों को फेंक दिए। और वहां से जाने लगा और पास ही के एक कुटिया के बाहर बैठी बुढ़िया को पैसे दे कर कहा माई कल सुबह मैं फिर आऊंगा तुम हलवा बना के रखना। फिर वो मंदिर की ओर वापस जाने लगा। तो बुढ़िया ने उस से आज पूछ लिया तू सारे पैसे मुझे क्यों दे जाता है बबुआ । अपने लिए कुछ रखता ही नहीं। तो उस बच्चे ने प्यार से कहा मेरे पास तो सब है माई मुझे बस तुम्हारे हाथों की बनी हलवा खानी है और वो मंदिर की ओर जाने लगा । बुढ़िया उसे और कुछ ना बोली वो राम का नाम जाप करने लगी आंखें मूंद कर। और वो बच्चा मंदिर के समीप पहुंच कर जय श्री राम का जाप करते करते अचानक से उसकी मूर्त धुंधली होकर अदृश्य हो गई। किसी ने इस चमत्कार पर ध्यान नहीं दिया सब अपने काम में व्यस्त थे।।।



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