3 ) अनकहे रिश्ते
3 ) अनकहे रिश्ते
कुछ रिश्ते जिन्दगी में साईलैन्ट से होते है फिर भी ... उनकी आवाज कानों में चुपचाप सुनाई देती रहती है। उनकी गूँज ज़हन में गूँजती है। बिन कहे बहुत कुछ कह जाते है ऐसे रिश्ते ।बाँध लेते है ऐसे बन्धनों मे जिनकी कोई डोर नहीं होती ।
चलते रहते कभी पल दो पल कभी कुछ पल बिन कुछ चाहे बिन कुछ माँगे । कोई नाम नहीं होता इनका लेकिन सकूं सा मिलता है जिन्दगी में ऐसे रिश्तों से ...
राहुल है उसका नाम , मिले भी तो कैसे एक ही आफिस में इन्टरव्यू के दोरान । दोनो को जाब भी साथ-२ मिली । इस दौरान उनकी किसी बात पर बहुत बहस हुई और लड़ाई भी हुई । लेकिन डिपारटमैन्ट अलग -२ थे । कभी -२ फ़ाईल पर सिगनेचर करवाने राहुल उसके विभाग में।कोई परिचय नहीं था दोनो में । फिर भी जाने क्यूँ नेहा को राहुल बिल्कुल पसंद नहीं था । जाने क्यूँ जब भी राहुल की कोई बात करता तो उसे अच्छा नहीं लगता था एक दिन आफिस से जाते हुए नेहा को देर हो गई वो आटो का इन्तजार कर रही थी लेकिन मिल नहीं रहा था ।तभी राहुल भी घर जा रहा होता है तो उसने नेहा को परेशान देखा तो कहा कि चलो मै तुम्हें घर छोड़ देता हूँ ।आज लेट हो गया है कब तक अकेले यहाँ खड़ी रहोगी । नेहा को असमंजस में देख राहुल कहता है कि घबराओ मत ।ऐसा करो जब तक तुम्हे आटो नहीं मिलता मै यहाँ रूकता हूँ । नेहा को जब तक ऑटो नहीं मिला राहुल वहीं रहा और जब आटो आया तो ।आटो के साथ-२ घर तक छोड़ने आया । जब नेहा घर के दरवाज़े पर पहुँची तब राहुल गया वो भी बिना कुछ बोले । नेहा रातभर राहुल के बारे में सोचती रही कि कितना ग़लत सोचा था लोगों की बातें सुनकर राहुल के बारे में । वो उसने नेहा की कितनी हैल्प की और वो उसे थैक्स भी नहीं कर पाई । अपनी सोच पर नेहा बहुत शर्मिन्दा थी और सोच रही थी कि कल सुबह वो राहुल को थैक्स और सोरी दोनो बोल देगी । लेकिन ये क्या ... आफिस पहुँच कर उसे पता चला कि राहुल को आफिस वालो ने कल की फ़्लाइट से बिजनस टूर पर यू एस ए भेज दिया है । अब नेहा को बहुत ज़्यादा दुख हो रहा था जैसे कुछ टूट सा गया हो । उसे लग रहा था कि उसका ये “अनजाने सा रिश्ता “ कितना अपना है