लॉकडाउन
लॉकडाउन


लाईफ़ में कब क्या हो जाये कुछ पता नहीं। सबके मुँह से अक्सर ये सुनती थी लेकिन इसको कभी ऐसे अच्छेसे फ़ील नहीं किया था।इस कोरोना वायरस के चलते पूरी ज़िन्दगी... पूरी की पूरी ज़िन्दगी ही बदल गई है।
Let’s look 👀 the positive side ....
हाँ बहुत कुछ बहुत अच्छा भी हुआ है। हम अपने घर को जीने लगे है। समझने लगे है। हाँ पहचानने लगे है।हर कोने में अहसास भरने लगे है। इस लॉकडाउन से पहले हमने ख़ुद को बेहद व्यस्त कर रखा था। वजह और ख़ास तौर पर बेवजह भी। बहुत सुन्दर सा आशियाना बनाया लेकिन पूरी तरहा कभी जिया नहीं उसको। बस एक स्टेट्स सिम्बल बना कर रख दिया और हम मुसाफ़िर की तरह आते रहे और जाते रहे।हममे से अधिकतरकी ज़िन्दगी शायद यूँ ही बीत जाती और हम एक दिन अपनी तशरीफ़ का पुलिन्दा उठाये रूकसत हो जाते इसदुनियाँ से, अपने बनाए आशियाने को छोड़।
कितनी मसरूफियत पाल रखी थी हमने बेवजह।
आजकल मेरे घर का फ़ेवरिट कोना कोई एक नहीं रहा। हर कोना ही मेरी फ़ेवरिट हो गया है।सुबह की चायका जो रूहानी अहसास मुझे बाहर ठन्डी हवा में बैठकर मिलता है।वो अहसास बहुत वक़्त के बाद पाया है।याफिर पतिदेव के हाथों से बैंड टी मिलना और उस उस चाय का नशा कुछ अलग ही होती है।
और कभी -कभी चाय पी कर फिर से कुछ देर और सो जाना यानी सोने पे सुहागा। वाऊ वाली फीलिगंआती है।