गुरू /शिक्षक
गुरू /शिक्षक


गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरः
गुरुः साक्षात्परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः ।
हिंदू परंपरा में गुरू /शिक्षक को ईश्वर से भी आगे का स्थान प्राप्त है तभी तो कहा गया है - कि हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहीं ठौर. वास्तव में हम जिस भी व्यक्ति से कुछ भी सीखते हैं , वह हमारा गुरु हो जाता है और हमें उसका सम्मान अवश्य करना चाहिए। गुरु या शिक्षक वो होता है , जो अज्ञान दूर करता है और ज्ञान के मार्ग पर चलने की राह दिखाता है । अज्ञान को कोई भी दूर कर सकता है, चाहे वो स्त्री हो या पुरुष ! और इन दोनो में कोई भेद नही है । ना ही कोई छोटा है ना ही कोई बड़ा ।
गुरू तो - केवल गुरू /शिक्षक है , वह कोई स्त्री या पुरूष नही है । ये भेद क्यूँ । सर्वप्रथम हम माँ से ही सीखते है तो , माँ भी हमारी प्रथम गुरू है , पिता भी और भाई -बहन भी , अर्थात जिनमें आपके लिये सम्पूर्ण प्रेम होता है वही आपको सत्य , और सही कर्म के मार्ग की और अग्रसर करते है ।
देवी राधा ही कृष्ण के लिए गुरु हैं ।यहाँ भगवान ने भी स्त्री-पुरूष के भेद को मिटा समानता का उदाहरण दिया है।
जीवन में सफल होने के लिए शिक्षा सबसे ज्यादा जरुरी है. शिक्षक देश के भविष्य और युवाओं के जीवन को बनाने और उसे आकार देने के लिये सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. प्राचीन काल से ही गुरुओं का हमारे जीवन में बड़ा योगदान रहा है. गुरुओं से प्राप्त ज्ञान और मार्गदर्शन से ही हम सफलता के शिखर तक पहुंच सकते हैं । दुनिया भर में गुरूओं /शिक्षकों को उनके योगदान के लिए आभार जताने के लिये व “उपराष्ट्रपति एस. राधाकृष्णन की याद में 5 सितम्बर को “शिक्षक दिवस “मनाया जाता है । “इस दिन के शुभ अवसर पर गुरु /शिक्षक दिवस मनाने का विधान है. शिक्षक के सानिध्य में पहुंचकर विधार्थी को ज्ञान की प्राप्ति होती है ।
आजकल कोरोना संकट की वजह से शिक्षक और शिक्षण हर जगह एक झटके में बदलाव हुआ है। अब शिक्षकों की भूमिका भी बदल गई है । शैक्षिक दुनिया में अब शैक्षणिक के तरीकों में तकनीकी इतनी हावी हो गई है कि पारंपरिक शिक्षकों पर टेक्नास्मार्ट टीचर बनने का भी दबाव आ गया है।
शिक्षकों का भी छात्रों के प्रति भावनाओं में भी कुछ परिवर्तन हुआ है । वहीं छात्रों के पढ़ने के तरीक़ों में बहुत बड़ा परिवर्तन आया है ।
शिक्षकों पर भी आनलाइन पढ़ाई का दबाव बढ़ रहा है । पहले और अब में समय के पढ़ने / पढ़ाने मे बहुत बदलाव आया है । लेकिन आज की एक्स वाई जेड और अल्फा बीटा जेनरेशन को उनके लिए पढ़ाना इतना आसान नहीं है।लेकिन मुश्किल भी नहीं है । अब यह है कि “आज शिक्षक दिवस , शिक्षकों के सामने एक नई चुनौती के रूप में सामने आया है। अब शिक्षकों को या तो जल्द से जल्द स्मार्ट टेक्नास्मार्ट होना पड़ेगा या फिर शिक्षण क्षेत्र से अलविदा कहना होगा।