20 जून 2021
20 जून 2021


आज अनुष्का के प्रति मेरा संदेह विश्वास में में बदल गया। इस बात की पुष्टि हो गई कि अनुभव एवं अनुष्का के बीच ना केवल भावात्मक संबंध हैं अपितु शारीरिक संबंध भी हैं।
मुझे पुरानी बातें बहुत याद आने लगी हैं विशेष रूप से वह बातें जिनका संबंध भावनाओं से है। लगता है मेरी मृत्य निकट ही है।
यह घटना उस कमरे से संबंधित है जो घर में आने के बाद आँगन की ओर जाने वाले रास्ते पर पड़ता है और जिसमें घर का पुराना सामान पड़ा है।
जो बात लिख रहा हूँ वह हनीमून जाने से पहले और शादी के तीन दिनों बाद की है।
हम लोग सवेरे सवेरे घर से निकल गए थे और सारे दिन इधर उधर घूमने के बाद शाम के समय घर वापस आए थे। शादी का उतावलापन था। मुझसे इतना भी धैर्य नहीं हुआ कि एक मिनट चल कर अपने कमरे तक जाऊँ। मैं अनुष्का को इसी कमरे में ले आया। उसे अभी तक इसके बारे पता न था। वह मेरे साथ चली आई। जब उसे मेरी नियत का पता चल तो उसने वही कह कर वाह्य मन से मेरा विरोध किया जो सारी लड़कियां कहती हैं–– 'कोई देख लेगा'। उसके विरोध ने मेरी इच्छा को और प्रबल कर दिया था। हम लोग दो तीन मिनट तक इसी कमरे में थे। जब निकले तो अनुष्का के बाल बिखरे हुए थे, लिपिसटिक खराब हो चुकी थे, कपड़े भी असत व्यस्त हो चुके थे। बाहर निकलते समय भाभी ने देख लिया था। वह धीमें से मुस्कुराई थीं। मैं उनसे नज़रें चुराता हुआ अनुष्का के साथ अपने कमरे की ओर चला गया था।
आज मेरा मन हुआ कि अनुष्का को लेकर पुनः उसी कमरे में जाऊँ। मैंने अनुष्का का हाथ पकड़ा और टहलता हुआ उसी कमरे की ओर जाने लगा। अनुष्का ने कहा उस कमरे में ना जाइए। वहाँ बहुत धूल मिट्टी है। आपको इन्फ़ेक्शन हो सकता है। मैं सोचने लगा कि एक वर्ष में दुनिया कैसी बदल गई है। एक वर्ष पहले मैं उसी कमरे में कैसे उतावलेपन के साथ गया था और आज धीमें धीमें जा रहा हूँ। एक वर्ष पहले अनुष्का द्वारा मेरी इच्छा का विरोध कैसा आनंददाई था और आज उसका विरोध निराशा का संदेश दे रहा है। यही सब सोचता हुआ मैं अनुष्का को लेकर कमरे मैं पहुँच गया। और उसके बाद जो मैंने देखा उसे देख कर मेरे होश उड़ गए।
मुझे लगा कि मुझे हार्ट-अटैक आ जाएगा। क्रोध और लज्जा से मेरा पूरा शरीर लाल हो गया। मन चाहा कि धरती फट जाए और मैं उसी में समा जाऊँ।
सामने अनुष्का का हेयर-बैंड पड़ा था।वही गुलाबी फूलों वाला हेयर-बैंड जिसे कल वह बंधे बालों में लगाकर अत्यंत सुंदर लग रही थी।वही हेयर-बैंड जो उसके बिखरे बालों में उस समय नहीं था जब वह अनुभव को दरवाजे तक छोड़ने के बाद वापस आई थी।एक वर्ष पूर्व के जिस मिलन की पुनरावृति करके मैं वर्तमान में आनंदित होना चाहता था उस मिलन की पुनरावृति कल अनुष्का कर चुकी थी। अंतर बस इतना था कि इस बार मेरे स्थान पर अनुभव था।
ईर्ष्या, क्रोध और विश्वासघात से जनित अपमान ने मेरे पौरुष को पाशविक बना दिया। मन में आया कि बिना कुछ पूछे अनुष्का तो मारना शुरू कर दूँ। अबला पर हाथ उठाना हमारे परिवार की परंपरा के विरुद्ध था। किन्तु यह भी सत्य है कि हमारे परिवार के इतिहास में किसी अबला ने ऐसी निष्कृत सबलता दिखाने की भी कोशिश नहीं की थी। किसी प्रकार स्वयं पर नियंत्रण किया। मैंने अनुष्का की ओर देखा वह भोली सूरत बनाए, घबराई हुई हिरनी की भांति अपनी बड़ी बड़ी आँखों से मुझे देख रही थी। मैंने सोचा भी न था कि यह कुलटा इतना अच्छा अभिनय भी कर सकती है। उसने अपना हेयर-बैंड उठाया, सर पर लगाया और मेरा हाथ पकड़ कर बोली, "आप की तबियत ख़राब हो रही है। मैं आपको पहले ही यहाँ आने से रोक रही थी। चलिए हम लोग बाहर चलते हैं।"
मेरा जी चाहा कि मैं उसका हाथ झटक दूँ लेकिन मैंने हलके से हाथ छुड़ाते हुए कहा, "मैं अकेले भी जा सकता हूँ।" उसने मुझे ऐसे रूप में कभी नहीं देखा था। वह मेरे पीछे पीछे चलने लगी। कमरे में आकर थोड़ी देर बैठी और फिर बिना कुछ बोले बाहर चली गई।
मैं कोई निर्णय नहीं ले पा रहा हूँ। और जल्द बाज़ी में निर्णय लेना भी नहीं चाहता हूँ। क्योंकि मैं यह मानता हूँ कि 'मनुष्य को क्रोध की अवस्था में कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए और प्रसन्नता की अवस्था में कोई वायदा नहीं करना चाहिए।'
कल तक अनुष्का और अनुभव के बीच होने वाली व्हाटसप की चैट मिल जाएगी। देखें उसमें क्या क्या निकलता है।