09 जून 2021:
09 जून 2021:
सवेरे सवेरे राहत, सीमा, अनुष्का और शहला को एक साथ अस्पताल में देख कर आश्चर्य हुआ। उनके पीछे पीछे भय्या और ममता भाभी भी आ गये। सभी के चेहरे खुशी से खिले हुए थे। राहत के मुख पर संतोष का भाव था। इस से पहले कि मैं कुछ पूछता सीमा ने कहा, "पहले मैं" और राहत से उसका मोबाईल छीन कर मेरे पास आई और नाटकीय अंदाज में मोबाईल मेरे सामने कर दिया। मैसेज पढ़ कर मेरी खुशी का भी ठिकाना न रहा। यू.पी.पी.सी.एस. में राहत का चयन हो चुका था। इतना ही नहीं उसने यह प्रतियोगिता तीसरा रैंक प्राप्त करके उत्तरीण की थी। उसे यू.पी.पुलिस सर्विस मिली थी जो वह चाहता था।
दूसरी प्रसन्नता की बात यह थी कि उसे बिना प्रशिक्षण के डी.एस.पी. के पद पर नियुक्त किया गया था। प्रायः ऐसा नहीं होता है किन्तु कोविड-19 की आपातकालीन परिस्थितियों के कारण प्रशिक्षण को सेवा के साथ जोड़ दिया गया है।
राहत अति विनीत भाव से मेरे निकट आया और मुझ से लिपट गया और बोला, "भय्या यह सब आपके आशीर्वाद का परिणाम है।" ममता भाभी मिठाई ले कर खड़ी थीं। शहला मिठाई लेकर मेरे पास आई और मेरे मुंह में मिठाई डालते हुए बोली, "यह मैसेज रात को बहुत देर में आया था। हम लोगों ने तय किया कि हम सब लोग आपको एक साथ शुभ समाचार दें और आपको मिठाई खिलाने के बाद ही हम लोग मिठाई खाएं।" शहला की बातों ने मुझे भावुक कर दिया। अनुष्का ने सब से बैठने को कहा। जिसको जहां जगह मिली बैठ गया।
भय्या ने सीमा और शहला को संबोधित करते हुए कहा, "तुम्हारे भय्या ने जो कर दिखाया है वह विरले लोग ही कर पाते हैं। तुम लोगों को अपने भय्या से भी आगे निकल कर दिखाना है।"
भय्या के उपदेश को किसी ने गंभीरता से नहीं लिया। इस तरह की बातें तो यह लोग सुनते ही रहते हैं।
थोड़ी देर के बाद शहला और सीमा को छोड़ कर सभी चले गए। राहत की सफलता को लेकर बातें होने लगीं। सीमा बोली, "भय्या बहुत बुद्धिमान हैं इस लिए हमेशा पढ़ाई में आगे रहे। जिसकी बुद्धि ही न हो वह क्या करे " शहला सीमा की बात काटने हुए बोली, "खाली बुद्धि से क्या होता है भय्या बहुत परिश्रम करते थे। रात रात भर जागते थे। मैं तो इतनी मेहनत कभी नहीं कर सकती।"
मैंने दोनों को चुप कराते हुए कहा, "किसी भी सामान्य युवक के पास इतनी कम बुद्धि नहीं होती है की वह प्रतियोगिताएं न निकाल पाए। हाँ यदि किसी को लगता भी है कि उसके पास बुद्धि की कमी है तो वह इस कमी को परिश्रम द्वारा पूरा कर सकता है। परिश्रम बुद्धि का विकल्प होता है।"
सीमा बोली, "अगर यही दो बातें आगे बढ़ने के लिए चाहियें तब तो सभी आगे निकल जाना चाहिए?"
यह दो बातें मात्र टूल हैं। इसके अतिरिक्त और भी बहुत सी बातें हैं। जिनमें पहले नंबर पर है आत्मसम्मान की रक्षा की इच्छा।
शहला ने पूछा, "आगे बढ़ने का आत्मसम्मान से क्या सम्बन्ध?"
"यदि तुममें आत्मसम्मान है तो तुम समाज में सदैव सर उठा कर चलना चाहोगी। सर उठा कर तभी चल सकोगी जब तुम दूसरों से हटकर कुछ नया काम करोगी या जब तुम कोई कठिन परीक्षा उत्तीर्ण करोगी। तुम नहीं चाहोगी कि तुम्हें असफल कह कर तुम्हारा अपमान किया जाए। आत्मसम्मान खोने का भय तुमसे कुछ भी करा सकता है।"
जब मैं बच्चों से बात कर रहा था तभी डॉक्टर चंद्रा राउन्ड पर आ गए। सीमा और शहला बाहर जाने लगे तो डॉक्टर ने उन्हें रोक लिया। मुझे देख कर बोले, "आपके ऑपरेशन के साथ कोई समस्या नहीं है किन्तु पिछले दो दिनों की आपकी टेस्ट रिपोर्टस् से पता चल रहा है कि कुछ चीज़ें संतोषजनक नहीं हैं। हम आप को आज डिस्चार्ज नहीं कर पाएंगें।" फिर शहला और सीमा से कहा, "आप में से एक मेरे साथ आ जाइए।" सीमा रुक गई। शहला साथ चली गई और काफ़ी देर के बाद लौटी। उसका चेहरा मुर्झाया हुआ था। मेरे पूछने पर वह मेरी बात को टालने लगी। उसने कहा कि कोई खास बात नहीं है। कुछ इन्जेक्शन लिखें हैं जो फौरन लगना हैं। मैने सीमा को क्रेडिट-कार्ड देकर इन्जेक्शन लाने के लिए भेज दिया। कुछ क्षणों के लिए शहला भी बाहर गई शायद सीमा को बताने के लिए कि डॉक्टर ने क्या कहा है।
शहला की मुद्रा से स्पष्ट था कि डॉक्टर चंद्रा ने उसको कोई गंभीर बात बताई है जिसे वह छुपा रही है। मैंने बहुत पूछा तो वह रोने लगी। इतने में सीमा नर्स को लेकर आ गई। मुझे दो इन्जेक्शन लगे। शहला से मैंने और अधिक नहीं पूछा। सीमा भय्या से बात करते करते बाहर चली गई। यह इन लोगों का बचपन नहीं है तो क्या है। मेरी ही बातें मुझी से छुपा रहे हैं।
शाम को सौरभ के आने के बाद शहला और सीमा वापस चले गए।
आज मेरे साथ सौरभ रुक रहा है।