"ज़रूरत "
"ज़रूरत "


तुम्हारी बाहों के
पन्हा में
ले लो
हमें
और
किसी
सहारे की
जरूरत नहीं !
जुल्फों की
खुशबू से
अपनी
मदहोश कर दो
हमें
गुलाबों के
महक
की
अब
जरूरत नहीं !!
तुम्हारी शबनमी
ओठों
को
चूमने दो हमें
और
कोई
शराब
की
जरूरत
नहीं !
नशीली
आँखों में
तुम्हारी
डूब जाने दो
हमें
मयकदा
जाने की
अब
जरूरत नहीं !!
तुम
उतर आओ
मेरी
दिल के
आँगन में
और
किसी की
आज
जरूरत नहीं !
हमसफ़र
बनो
मेरे
जीवन
के
सफर में
तनहा
सफ़र
और
कटता
नहीं !!