STORYMIRROR

Akash Yadav

Tragedy

3  

Akash Yadav

Tragedy

ज़माना

ज़माना

1 min
281

मिसाल देता है ये ज़माना कभी

हीर-रांझा के मोहब्बत की

और आज कहीं प्रेमियों को

जिन्दा जला दिया जाता है।


कितना दोगला है ये जहां

कितने रंग दिखाता है,

क्यों अपनी इन हरकतों से आखिर

ये ज़माना बाज़ नहीं आता है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy