ज़िन्दगी हो तुम
ज़िन्दगी हो तुम
मेरी ज़िंदगी की सांस हो तुम
जीने का एक ही राज़ हो तुम,
तुम ही परी हो मेरी, हो तुम ही मेरी देवी
मेरे दिल का चैन मेरा अभिमान हो तुम।
तुम हो मेरी महालक्ष्मी तुम ही हो मेरी गीता
मैं चाहूँ तुम्हे जैसे राम की सीता।
सारी प्रसन्नता इस जहाँ की दू में तुझे,
साबित करूँ में अपनी चाहत की पवित्रता।
गलत था जुबान से थोड़ा , कभी गलत न था दिल से
मौका दो मुझे एक, सब बताने के तुम्हें मिलके।
परिवार को तुम्हारे सिर-आँखों पे रखूंगा,
तुम को मैं अपने सारे जहाँ पे राज करूँगा।
मिला नहीं जो आज तक तुमको, वो सब तुम्हे मैं दूंगा
तुम्हारे अधूरे ख़्वाब सारे में पूरे करूँगा।
बस आखरी बार मुझे माफ कर के एक मौका और दे दो
वादा करता हूँ, हर खुशी मैं तुम्हे दूंगा।