ज़िन्दगी अब नहीं रही पहले जैसी
ज़िन्दगी अब नहीं रही पहले जैसी


भूल कर जिसे हमने भूला, फिर याद आए आप।
जिंदगी की इस डाली पर, छोड़ गए अमिट छाप।
मौसम के मिजाज़ को बदलने की नाकाम कोशिश,
कभी हमने भी की थी मिलने की कोशिश बेशुमार।
आग लगाकर जाने वाले, ज़रा हमारी भी सुन लो।
आग बुझाने की कोशिश हमने की थी बार बार।
आग तो बुझ गई पर तपिश अब भी बरक़रार है।
जो दर्द दिया था आपने ,वो आज भी सरकार है |
मौसम बदला , हम भी बदले पर न बदले आप।
भूल कर जिसे हमने भूला, फिर याद आए आप।
जिंदगी की इस डाली पर, छोड़ गए अमिट छाप।
अब ये ज़िन्दगी खुशनुमा नहीं लगता है एक शाप।