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निखिल कुमार अंजान

Romance

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निखिल कुमार अंजान

Romance

यूँ ही तेरा आना जाना

यूँ ही तेरा आना जाना

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वो तेरा यूँ ही मिलना

मिल के फिर बिछुड़ना

साँसों में मेरी घुल जाना

लबों पे तेरा नाम आना।


लगता है सब कुछ पुराना

काश न आती तू ऐसे तो

ये दिल भी न होता बेगाना

कभी मिल जाए राह चलते।


चोरी से ही नजरें तो मिलाना

ढूंढ लेता हूँ आज भी तुझे

जब खो जाता है यादों में दीवाना।


छलकता है जब जाम

याद आती है वो शबनमी शाम

सिगरेट के धुँए से छल्ले बनाना

जुल्फों को तेरी प्यार से सहलाना।


आज भी याद दिला देता है मुझको

मेरी जिंदगी मे आकर तेरा रुठ कर

यूँ ही बिना कुछ कहे चले जाना...


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