यूँ ही नहीं कहता
यूँ ही नहीं कहता
यूँ ही नहीं कहता हूँ मैं
प्रेम को
नया प्रेम।
जिस रूप में सुना नहीं
उस रूप में देखता हूँ
तो कहता हूं नया प्रेम
और प्रेमी भी अद्भुत
जो नहीं है उसको पर्याप्त
कहता है
जो है वो तो इतिहास की तरह
है
और भविष्य का
मंसूबा बांध रहा है
ठीक ही तो कहता है
प्रेमी होने के लिये
होना पड़ता है
खोया खोया ही सही,
है तो वर्तमान में।