आजकल
आजकल
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तुम्हें, तुम्हारे देश और
तुम्हारे देश के निजाम के
प्रेम में ध्यानवत डूबा हुआ
मेरा मन
तुम्हें,तुम्हारे देश को,और
तुम्हारे देश के निजाम को
अपलक निहार रहा है।
प्रयास भी है
और प्रार्थना भी है मेरी कि
तुम,तुम्हारा देश और
तुम्हारे देश का निजाम
अपने अपने में
ठीक ठीक वैसे ही हों
जैसा कि उन्हे होना चाहिये ।