हाल बेकस है ऐसा; क्या कहें 'ज़ाहिद ' रोटियां भी छपने लगी हैं इश्तहारों में। हाल बेकस है ऐसा; क्या कहें 'ज़ाहिद ' रोटियां भी छपने लगी हैं इश्तहारों में।
किसी को प्रवेश नहीं करने देती अपने निजाम में। किसी को प्रवेश नहीं करने देती अपने निजाम में।
बस पर खोल के उड़ जाना चाहती ये आसमान देखना है और सितारे छूने हैं बस पर खोल के उड़ जाना चाहती ये आसमान देखना है और सितारे छूने हैं