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Deepak Shrivastav

Tragedy

4  

Deepak Shrivastav

Tragedy

युद्ध की विभत्सिका

युद्ध की विभत्सिका

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युद्ध

युद्ध एक विनाशकारी शडयंत्र मानवता के प्रति

युद्ध एक षड़यंत्र संस्कृति के प्रति

जब जब युद्ध हुए मानवता का संस्कृति का नाश हुआ

हजारों बच्चे अनाथ हुए

हजारों माओं की गोद सुनी हुई

हजारों पत्नियां विधवा हुई

शहरों, गावों, मकानों से पूछो

कितने सुने हुए

युद्ध के मैदान कितने जीवन लील गए

धरती पर पड़ी लाशों की गिनती कौन करे

युद्ध के मैदान की विभत्सता का वर्णन कोई कैसे करे

युद्ध कभी अवश्यकता कभी अनावश्यक लड़े जाते

एक अपने अहंकार को पूरा करने को लड़ रह

एक अपनी रक्षा के लिए लड़ रहा

ये धरती एक

ये आसमा एक

ये हवा एक

श्रस्टी एक

सूरज एक

चाँद एक

सब कुछ एक फिर युद्ध किस लिए

क्यों ये विनाश

क्यों ये नाश

क्यों नहीं हम वासुदेव कुटुंबकम

सबे भूमि गोपाल की अवधारना को अपनाते

क्यों आक्रमण

क्यों एक दूसरे के अधिकारों का अतिक्रमण करते हैं

क्यों शांति प्रेम सद्भावना से नहीं रह सकते

क्यों धर्म, कर्म ओर मर्म के नाम पे युद्ध लडते हैं

क्यों ये युद्ध लड़ते हैं

क्यों ये युद्ध लड़ते हैं।


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