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Sudhir Srivastava

Tragedy

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Sudhir Srivastava

Tragedy

युद्ध के बाद सन्नाटा

युद्ध के बाद सन्नाटा

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युद्ध कोई भी है

उसकी परिणति एक ही होती है,

जहां जीवन महकता था

वहां खामोशियां सजती हैं,

हर घर, हर परिवार ही नहीं

राष्ट्र और समाज भी झेलता है दंश युद्ध का

वीरानियों के बीच सिर्फ क्रंदन गूंजता है।

अनाथ बच्चे, विधवा महिलाएं

उजाड़ बियाबान घर

चीख चीखकर युद्ध की कहानी कह रहे हैं

क्या मिला इस युद्ध से हर किसी से पूछते हैं।

कारण कुछ भी हो, कैसी भी विवशता हो

पर ऐसा तो नहीं, जब हल केवल युद्ध हो।

कमजोर हो या ताकतवर खोना दोनों का पड़ता है,

युद्ध में फंसकर सिसकना जनता को ही पड़ता है।

शिक्षा, कला, स्वास्थ्य संस्कृति झुलस जाती है,

व्यक्ति की बात छोड़ भी दें तो

राष्ट्र की खुशहाली बहुत पीछे हो जाती है।

युद्ध के बाद का सन्नाटा सबको डराता है

युद्ध के बाद पश्चाताप से भी

जो खो चुका वो वापस तो नहीं आता है,

पर मुफ्त में डरावना सन्नाटा

कहर बन फिजा में जरूर मंडराता है,

जीवन नासूर सा बन जाता है। 



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