योद्धा

योद्धा

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तोड़ ला उन तारों को तू

ज़मीं पर रेंगने की कोशिश ना कर

कर फतह मंज़िल हौसलों से तू

पंखों से उड़ने की कोशिश ना कर


तू डरा नहीं तूफ़ानों से

जिगर तेरा विशाल है

पार किए तूने कितने दरिए

हिम्मत की तू मिसाल है


खुदा की तू है देन

ये जज्बा एक सौगात है

जो डरा नहीं समन्दर से

तो लहरों की क्या औकात है


भय तुझे रोक ना सका

चला है तू अंधेरे में 

तो अब डर लगे कैसा

इस दिन के फैले उजेरे में 


गिर गिर तू उठता रहा

इन पथरीली राहों में

अनायास ही चलता रहा

भोलेनाथ की छांव में


इक दिन ऐसा आएगा

तू कुल दीपक कहलाएगा

इंसान तू अपने शौर्य से

वंश का गौरव बढ़ाएगा 


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