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Sandeep Kumar

Action Others Children

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Sandeep Kumar

Action Others Children

यह सूना संसार है

यह सूना संसार है

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बिन माता पिता का तो

यह सूना संसार है।।


माता-पिता है तो घर वार है

नहीं तो दुनिया देता दुत्कार है

यहां वहां भटकने को

होता बेबस और लाचार है

ठोकर खाता दर दर भटकता

ना मिलता किसी से प्यार है

बिन माता .......


दो कण खिलाता चार बातें कहता

देता डांट फटकार है

स सम्मान जीने का हक छीन लेता

करता अत्याचार है

किसी को ना होता भरोसा

भरोसे का ना देता पतवार है

बिन माता ........


ना कुटुंब ना कोई प्रबोधन

बनता ना कोई यार है

स्वप्न सारा स्वप्न रहता

चूर चूर होता आत्मा का पुकार है

ना कालेज ना कलम मिलता

इच्छा का होता तार तार है

बिन माता ........


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