Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

यह शहर तुम्हारा नहीं

यह शहर तुम्हारा नहीं

1 min
379


जला दो इस शहर को,

यह शहर तुम्हारा नहीं।


मिटा दो इन गलियों को

इनमें तुम कभी खेले नहीं।


मार दो अपने बंधु-बांधवों को ही,

उन्होंने प्यार तुमसे कभी किया ही नहीं।


तुम सब माँ भारती के पुत्र,

माँ के भाल को उजाड़ते, झिझकते क्यों नहीं।


क्या से क्या हो गए तुम

हाथ में खंजर, कलम क्यों नहीं।


देश के भविष्य तुम,

दिल, दिमाग को खोलकर सोचते क्यों नहीं।


तोड़ना बहुत आसान बंधु,

जोड़ने का सुकून पाते क्यों नहीं।


मत भूलो नफरतों ने उजाड़ी हैं अनेकों जिंदगियां,

समाज में कड़वाहट घोलना उचित नहीं।


सिसकती, तड़पती उजड़ी जिंदगियों को,

फिर से बसाने का संकल्प लेते क्यों नहीं!!


प्यार के दो पल गुजारो अपनों के संग,

सच कहती है सुधा, द्वेष कहीं रहेगा नहीं!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics