यौवन
यौवन
यौवन के उन्माद में
न जाना खुद को भूल
यह तो बस दो दिन खिले
जैसे खिले कोई फूल।
खिल के फिर मुरझाना है
फिर सूख गिर जाना है
खिले फूल की खुश्बू सम
हर घर को महकाना है।
यौवन जीवन का मधुर काल
मत हो मदहोश यौवन के मद में
आए चार दिन सबके जीवन में
रहना सीखो अपनी हद में।
