यादों का सवेरा
यादों का सवेरा
तन्हाइयों के साये में यार जिंदगी
का राग अलविदा हो जाता है,
और सुबह होते ही यादों का सवेरा
अपनी रुसवाई छोड़ जाता है।
हर अश्क गिरता है उनकी यादों के झरोखों से,
रुखसत-ए -गम नही तो और क्या है जिंदगी में।
हर दर्द जीवन में अश्क बयाँ नही कर पाता है,
जिन्दगी का ताबूत सांसें नया नही कर पाता है।
यह शोहरत है उस तकदीर के खुदा की,
जिसके हर लफ्ज़ में दुआ का नाम होता है,
ये यादों की फितरत नहीं तो और क्या है,
जिसे याद करे दिल वो यूं मिल जाता है।