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Govind Narayan Sharma

Fantasy

4  

Govind Narayan Sharma

Fantasy

यादों का कर्ज

यादों का कर्ज

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कभी तेरी यादें इतनी शिद्दत से सताती हैं! 

जब पलकें बन्द करूँ तेरी तस्वीर दिखती हैं !


तेरी रहमत की मुझ पर इतनी बरसात हो, 

तेरी हर मोड़ पर उल्फ़त भरी मुलाकात हो!


तेरी यादें तेरी बातें बस सिर्फ़ तेरे अफ़साने हैं,

कबूल हैं हमें तेरी अदाएं हम तेरे दीवाने है!


थोड़ी बदनामी भी जरूरी हैं प्रसिद्धि के लिए, 

इतने मायूस न बनो की लोग अक्स समझे! 


वो दूर रहे या पास नज़रों में समाये रहते हैं,

कोई हमें बताये क्या प्यार इसी को कहते हैं!


उम्र कम थी और ये इश्क बेहिसाब हो गया ,

बढ़ती उम्र में ये रोग अब लाइलाज हो गया!


एहसान फरामोश नहीं हम फर्ज निभा रहे हैं,

 यादों का कर्ज तन्हाइयों में अदा कर रहे हैं! 



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લોગિન

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