यादें
यादें
विस्मृत तम रजनी में बिखरी हैं यादें अतीत की,
सुंदरता के मुख पर मन का अंकित आज छाया है,
जब गांठे खुली यादों की लगा हमें जैसे कोई यहाँ,
जग की नीरसता में वो विस्तृत सपने बेचने आया हैI
सुख -दुख के उस आंगन पर कला कल्पना जीती है,
यादों ने आज उन भावों में मन का प्यार लुटाया है,
वो यादें जब तट से टकराती हो जाती कभी विह्वल,
सागर ने यादों पर तूफानों सा हलचल मचाया है,
कुछ अवशेष पड़े हैं चलचित्र मन में बिखरे बिखरे से ,
बिखरे - बिखरे अवशेषों में जीवन नया मोड़ लाया है,
सारे गिले-शिकवे भुलाकर आज खुशियों के रंग भर दो,
उन खुशियों के रंगों में अपनेपन का भाव निखर आया है,
मुद्दतों बाद ही सही बीती हुई बातें आंखों के सामने आई,
खुली यादों की गठरी अनगिनत बातों को दोहराया है,
जब गांठे खुली यादों की लगा हमें जैसे कोई यहाँ,
जग की नीरसता में वो विस्तृत सपने बेचने आया हैI