याद
याद
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तू मुझे याद आये तो मैं क्या करूँ
याद तेरी रुलाये तो मैं क्या करूँ।
चांदनी रात ने बादलों से कहा
चाँद गर रूठ जाए तो मैं क्या करूँ।
पेड़ हमने लगाये बड़े शौक़ से
फल जो उनपे न आये तो मैं क्या करूँ।
एक तरफ़ा मुहब्बत मुबारक़ तुझे
मुझको जब तू न भाये तो मैं क्या करूँ।
ओट में रोज़ घूँघट के मनमोहनी
मुझको ठेंगा दिखाए तो मैं क्या करूँ।
आज पहली मुलाक़ात ने ऐ कँवल
होश तेरे उड़ाए तो मैं क्या करूँ।।