STORYMIRROR

जिस्म की आग पर्दा गिराने लगे

जिस्म की आग पर्दा गिराने लगे

1 min
711


कृष्ण राधा कि गाथा भुलाने लगें

जिस्म की आग परदा गिराने लगें।


रंग चढ़ता नहीं हैं महोब्बत का अब

शान-शौकत से ही दिल लुभाने लगें।


दौड़ आया नया है बताते हमें

आग ऐसी लगी सर छिपाने लगें।


रंग के नाम से दूर रहते थे जो

देख कलियों को होली मनाने लगें।


चार दिन की जवानी सताने लगीं

दर-बदर लोग खंजर चलाने लगें।


खोई खुशियाँ मिले मुझे वापस अगर

दिल बसंती ग़ज़ल गुनगुनाने लगें।


प्यार में आस्था भी जो होती कँवल

सुर में सुर हम भी मिलाने लगें।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance