STORYMIRROR

Babita Agarwal Kanwal

Others

1.5  

Babita Agarwal Kanwal

Others

गज़ल

गज़ल

1 min
360



मौत आईं तभी भी सो न सकें

ज़िन्दगी का भी बोझ ढो न सकें


मेरी किस्मत में क्यों लगा ताला

देख बेचारगी भी रो न सकें


कैसे कहते हैं खो गये है हम

अपने हिस्से के ग़म तो खो न सकें


लड़ रहे हैं सभी यहां देखो

फूल कोई अमन के बो न सकें


अपनी मिट्टी जहां है अपना ही

प्रीत की डोर भी पिरो न सकें


क्यों बनाई थी रब ने दुनिया ये

के फरिश्ते भी दाग़ धो न सकें


साथ रहते कँवल सभी अपने

पर कभी दिल के पास हो न सकें


Rate this content
Log in