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Babita Agarwal Kanwal

Abstract

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Babita Agarwal Kanwal

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सूरजमुखी

सूरजमुखी

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सूर्योदय के साथ खिलखिला जाते हैं फूल सूरजमुखी के 

सूर्यास्त के साथ मुरझा जाते हैं दीवाने फूल सूरजमुखी के 


मंत्र-मुग्ध से बने दीवाने करके मुख पूर्व की ओर 

सूरज को अपलक निहारते रहते फूल सूरजमुखी के 


निर्मल निश्चल पवित्र पावन धारा जैसे अविरल जल की 

परिभाषा प्रेम की तो सीखा ही जाते फूल सूरजमुखी के 


तप रहे किरणों से सूरज की फिर भी निश्चल मुस्करा रहे 

गाथा अटूट प्रेम की अपनी बता रहे फूल सूरजमुखी के 


परस्पर मिलन की न आस कोई खड़े अटल प्रीत लिए 

सामने खड़े सपने संजोये प्रीतम के फूल सूरजमुखी के 


प्यार की बने है साधक देखो प्रेम में लिप्त भाव-विभोर

किंचित भी मन में नहीं रखें द्वेष फूल सूरजमुखी के 


सागर से गहरा पर्वत से ऊँचा अटल प्रेम तो देखा इनका 

देख तृप्त हो सूरज को नवजीवन पाते फूल सूरजमुखी के 


निस्वार्थ प्रेम की परिभाषा और सबब प्रेम का मैने हैं सीखा

जब भी देखती हूँ मैं तप में तपते फूल सूरजमुखी के 




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