ग़ज़ल
ग़ज़ल
दर्द दिल का नहीं जगाओ तुम
ज़हर मुझको न अब पिलाओं तुम
जख़्म मेरा भरा नहीं है अभी
के सितम और यूँ न ढाओ तुम
हूँ परेशान तेरी बातों से
यार मुझको न अब सताओ तुम
दफ़न दिल में सफ़र है यादों का
पंख यादों के मत उड़ाओ तुम
बेवफ़ाई से तेरी तड़पी हूँ
प्यार की आग मत जलाओ तुम
प्यास अपनी बुझाने आये हो
नाम मेरा नहीं लगाओ तुम
छूट जाती कँवल रुलाई भी
की यहां से चले ही जाओ तुम

