तेरी याद
तेरी याद
कहीं किसी की हँसी,
कहीं किसी की कोई बात
दिला देती है तेरी याद
हम क्या करें, क्या करें।
कहीं कोई घटना
कहीं कोई रचना
दिला देती है तेरी याद
हम क्या करें ।
कहीं कोई प्रसंग
कहीं कोई अनुभव
दिला देता है तेरी याद
हम क्या करें।
वह अनुभूति वह क्षण
जो जिये थे तेरे संग
मन में गहरे पैठे हैं
बरबस याद आते हैं।
जब कोई सफलता
जब कोई हर्ष ,
होता है मेरा अपना
याद आता संग देखा सपना।
यह सफलता भी तेरी है
यह हर्ष भी तेरा है,
यह बातें भी तेरी हैं
यह यादें भी तेरी हैं।
यादों से घिरी मैं
तुमसे घिरी मैं
अपने अकेलापन में
तुम्हें याद कर बैठी हूँ।
यदि मैं कवि होती
इसको कविताबद्ध कर देती
यदि मैं चित्रकार होती
इसको चित्रित कर देती।
पर कुछ न होकर भी
मन के अनगढ़ भावों को
तेरे सम्मुख आज सहज
अनावृत अर्पित करती।