व्यस्त जिंदगी
व्यस्त जिंदगी
सोचा था फुर्सत के कुछ पल मिलेंगे
अपनों से अपनों के दिल मिलेंगे।
मशीनों ने काम सरल कर दिया है,
मन में खुशियों के फूल खिलेंगे।।
पर उपकरणों की आँधी ने,
हवा का रूख बदल दिया।
हाड़-मांस केजीवित इंसा को ,
मशीन में परिवर्तित कर दिया।
न अब राहत है न चाहत है,
बिल्कुल सुनसान है जिंदगी ।
हृदय में धड़कन आती-जाती,
पर पाषाण बन गई जिंदगी।।
मशीन मस्तिष्क पर हावी है,
इंसा को पूर्णत: बदल दिया।
अपना सारा रूखाजडत्व
चुपके से इंसा में खरल किया ।।
न हँसते , गाते, मुस्काते हैं
मशीनों संग दिन बिताते है
कहने को स्पंदन नाड़ी मे,
दिल सूना आत्मा बेजान पाते है।।
केवल पैसे की अँधदौड़ में,
निस्तेज आत्मा बेजान है।
विकल भावनाएँ विधवा हैं,
घर बिलकुल वीरान है।
आकर्षक वस्तुएँ घर की शोभा,
हृदय में स्पंदन मात्र नही।
समीप रहे पर साथ नहीं,
उपकरणों के ज्वार में जज्बातों की औकात नहीं।।