समय यात्रा
समय यात्रा
रिश्ते मौसम जैसे..
ये रिश्ते मौसम जैसे क्यों हो गए ?
कल जिन रिश्तों को छाँव की आस में सींचा था,
आज उसी तपन में हम क्यों जल गए..!
ये रिश्ते मौसम की तरह बदलेंगे इल्म तो हमें था,
जिन्हें चलना सिखाया वो यूं बदल जाएंगे कभी सोचा न था।
वक्त वक्त की बात है कहीं धूप तो कहीं छांव है,
दिल की बात सुनने के लिए बस समय यात्रा का साथ है
गम और खुशी का तो चोली दामन का साथ है,
इन आंसुओं की अब उनकी नजर में कोई नहीं औकात है..
जो संभाल सको तो आने वाले कल को संभालो
ये तो फिर भी रिश्ते हैं मौसम बदलने पर साया भी छोड़ जाता है
ये समय है बंधु जो लौट कर नहीं आता है।